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Dainik Vishwamitra

रविवार १२ मई २०२४

नवरात्रि: माता की सवारी, पड़ेगी भारी * सामाजिक, राजनीतिक, प्राकृतिक एवं आर्थिक संकट के संकेत*




कोलकाता। दुर्गा पूजा को लेकर तैयारियां शुरू हो गईं हैं। कोलकाता समेत देश और दुनिया में लोग माँ दुर्गा के आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आगमन करती हैं। ज्योतिषशास्त्र और देवीभागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में संकेत देता है। माता जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं उसके अनुसार वर्ष में होने वाली घटनाओं का भी आकलन किया जाता है।


हिंदू पंचांग के मुताबिक शारदीय नवरात्रि की शुरुआत इस वर्ष 15 अक्टूबर से हो रही है, जो 24 अक्टूबर तक चलेगी. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना और नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना करने से साधक को सुख-समृद्धि तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। अयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक, शारदीय नवरात्रि में शुभ मुहूर्त पर घट स्थापना की जाती है. घट स्थापना निश्चित समय में चित्रा नक्षत्र के दौरान ही होती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, चित्रा नक्षत्र 14 अक्टूबर को शाम 4:24 से शुरू होकर 15 अक्टूबर शाम 6:13 तक रहेगा. वहीं अभिजीत मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11:04 से लेकर 11:50 के बीच रहेगा।


मां दुर्गा के वाहन डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य व हाथी हैं। आखिर किस तरह वाहन का निर्धारण किया जाता है कि इस बार इस वाहन में सवार होकर आएंगी। बता दें कि इसका निर्णय वार के अनुसार किया जाता है। इस बारे में एक श्लोक में उल्लेख है ।


शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे । गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता'।

गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे । नौकायां सर्व सिद्धि स्यात् डोलायां मरणं ध्रुवम्।।


श्लोक के अनुसार, नवरात्रि जिस दिन शुरू हो रही है उसी के आधार पर मां अपने वाहन पर सवार होकर आती है। अगर नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो रहे हैं तो मां का वाहन हाथी होता है जो अत्यंत जल की वृष्टि कराने वाला संकेत होता है। इसी तरह अगर नवरात्रि मंगलवार और शनिवार शुरू होती है तो मां का वाहन घोड़ा होता है जो राज परिवर्तन का संकेत देता है। इसके अलावा गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होने पर मां दुर्गा डोली में बैठकर आती हैं जो रक्तपात, तांडव, जन-धन हानि का संकेत बताता है। वहीं बुधवार से नवरात्रि आरंभ हो रही है तो मां नाव पर सवार होकर आती हैं और अपने भक्तों के हर कष्ट को हर लेती है। 


वार के हिसाब से ही मां जाती हैं अपने वाहन से


शशिसूर्ये दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा । शनि भौम दिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला ।।

बुध शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टि का । सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा ।।


इस श्लोक के अनुसार, अगर नवरात्रि का समापन रविवार और सोमवार को हो रहा है तो मां भैंसे की सवारी से जाती हैं। इसका संकेत होता है कि देश में शोक और रोग बढ़ेंगे। शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। इसका मतलब है कि दुख और कष्ट की वृद्धि करता है। वहीं बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि समाप्त हो रही हैं तो मां की वापसी हाथी पर होती है जो अति वृष्टि सूचक है। इसके साथ ही अगर नवरात्रि का समापन गुरुवार को हो रहा है तो मां दुर्गा मनुष्य के ऊपर सवार होकर जाती हैं जो सुख और शांति की वृद्धि होती है।


 इस बार माता का वाहन अश्व यानि घोड़ा होगा। ऐसे में पड़ोसी देशों से युद्ध, छत्र भंग, आंधी-तूफान के साथ कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल भी होने की संभावना है। वैसे ही माता के विदाई की सवारी भी भविष्य में घटने वाली घटनाओं की ओर इशारा करता है। माँ के घोड़े पर सवार होकर आने से लोगों में भय व्याप्त होना स्वाभाविक हैं। शास्त्र विद्वानों, ज्योतिषियों के अनुसार यह डर अनुचित नहीं है, क्योंकि इस बार देवी का घोड़े पर आगमन और प्रस्थान होगा। यानी घोड़े पर सवार देवी के आगमन एवं प्रस्थान से अराजकता की स्थिति होगी। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक सभी क्षेत्रों में अस्थिरता महसूस होगी। यह उथल-पुथल वाली स्थिति कब तक रहेगी, इस पर भी चर्चा हो रही है।


 देवी के आगमन और प्रस्थान के दौरान क्या स्थिति हो सकती है, इसे लेकर लोगों की चिंता और जिज्ञासा बढ़ती जा रही है। हालांकि, शास्त्रियों ने आशा की भी एक बात कही है। देवी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं, तो उसी प्रकार वह वापस भी घोड़े पर सवार होकर लौटेगी। इसलिए उम्मीद है कि अगर कोई असामान्य स्थिति उत्पन्न भी हुई तो जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा।

 

बांग्ला पंचांग के अनुसार इस वर्ष 20 अक्टूबर (2 कार्तिक) को महाषष्ठी और 24 अक्टूबर को विजया तिथि है। सर्वभारतीय प्राच्य विद्या एकैडेमी के प्राचार्य एवं शास्त्रवेत्ता डॉ. जयन्त कुशारी कहते हैं, ''मानवीय, प्राकृतिक, राजनीतिक- सभी क्षेत्रों में अव्यवस्थित भावना रहेगी। मन का मन से मेल न होगा। करीबी लोगों से मतभेद होगा। प्रकृति में अत्यधिक गर्मी, भारी वर्षा या भीषण ठंड पड़ सकती है। राजनीति के क्षेत्र में सत्ता पक्ष और विपक्षी दल के बीच टकराव तेज होगा और हिंसा फैल सकती है।  आर्थिक क्षेत्र पर भी असर पड़ेगा। दूसरे शब्दों में कहें तो चारों ओर अव्यवस्थित स्थिति होगी।


गुप्त प्रेस पंजिका के प्रमुख राजगणक अचिंत्य भट्टाचार्य के शब्दों में, ''माँ के घोड़े पर आगमन से प्राकृतिक आपदाएँ, राजनीतिक विद्वेष, अशांति का माहौल, आर्थिक तनाव हो सकता है। प्राणियों को अनेक प्रकार से संकटपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ेगा।'' उन्होंने मामले को समझाते हुए यह भी कहा, ''घोड़ा जब चलता है तो धूल उड़ाता हुआ तेज गति से दौड़ता है। तब चारों ओर एक अस्थिर वातावरण निर्मित हो जाता है। वैसी ही स्थिति की आशंका है।'' हालांकि, राहत की बात यह है कि इस बार देवी की विदाई घोड़े पर ही होगी। ऐसे में विद्वानों का कहना है कि प्राणियों के कल्याण के लिए माता घोड़े पर जा सकती हैं। आशा है, इससे अस्थिर स्थिति शीघ्र समाप्त हो जायेगी।


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