उत्तर प्रदेश में इस साल भी नहीं होगी कांवड़ यात्रा
लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर कांवड़ संघों ने इस वर्ष कांवड़ यात्रा को स्थगित करने का फैसला किया है। यह लगातार दूसरा मौका है जब कांवड़ यात्रा प्रदेश में नहीं होगी।
सूबे के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने शनिवार देर शाम बताया कि कावड़ संघों ने उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर इस वर्ष कावड़ यात्रा को स्थगित कर दिया है।
दरअसल, यूपी में कोरोना संक्रमण के न्यूनतम मामलों को देखते हुये योगी सरकार ने कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुये कांवड़ यात्रा को जारी करने की अनुमति दी थी। कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से शुरू होनी है। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बुधवार को नोटिस जारी किया था जबकि न्यायालय ने शुक्रवार को साफ किया था कि उत्तर प्रदेश सरकार को कांवड़ यात्रा के अपने निर्णय पर अमल की अनुमति नहीं होगी। न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ ने इस सिलसिले में राज्य सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और सोमवार तक खंडपीठ को अवगत कराने के आदेश दिये थे। न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट कर दिया कि राज्य सरकार कांवड़ यात्रा के अपने फैसले पर अमल नहीं कर सकेगी।
उधर, प्रयागराज में साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए कावंड़ यात्रियों एवं शिव भक्तों से अपने-अपने क्षेत्रों में अथवा घर में पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसका गंगा जल से अभिषेक करने की अपील की है।
परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने शनिवार को कहा कि यद्यपि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंशा जाहिर की थी कि धार्मिक परंपराओं का पालन हो लेकिन कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर के कारण ये संभव हो पा रहा है। उन्होने कहा कि पिछले वर्ष की भांति कावंड़ यात्रा नहीं निकालकर अपने गांव के शिवालय एवं घर में पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसपर गंगा जल से अभिषेक करें।
महंत ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में समाप्त होने के कगार पर है लेकिन चिंता का विषय है कि तीसरी लहर आने की संभावना भी बनी हुयी है। अध्यक्ष ने कहा “ हम और आप सुरक्षित रहेंगे तब देश सुरक्षित रहेगा इसलिए तीसरी लहर को देखते हुए कांवड़ यात्रा स्थगित करना ही श्रेयस्कर है।”