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Dainik Vishwamitra

बुधवार ४ दिसंबर २०२४

पेगासस जासूसी मामले ने पकड़ा तूल, कई बड़े नेताओं के नाम शामिल; विपक्ष ने घेरा, सरकार ने दी सफाई




नई दिल्‍ली। पेगासस जासूसी विवाद ने जोर पकड़ा है। इसमें कहा गया है कि फोन हैकर्स के निशाने पर राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, अभिषेक बनर्जी, रंजन गोगोई, अशोक ल्वासा के साथ केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के नाम थे। दुनियाभर के 17 मीडिया संस्‍थानों के कंसोर्टियम ने रविवार को एक रिपोर्ट छापी थी। इसके बाद हलचल मच गई थी। इसमें दावा किया गया है कि भारत समेत कई देशों की सरकारों ने 150 से ज्‍यादा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्‍य ऐक्टिविस्‍ट्स की जासूसी कराई। 
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा हे कि पेगासस जासूसी मामले में उच्चतम न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेकर अविलंब जांच के आदेश देने चाहिए।
श्री गहलोत ने आज जारी बयान में कहा कि यह यह मामला न्यायिक जांच के लिए उपयुक्त है जिससे आरोप-प्रत्यारोप की जगह सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पेगासस सॉफ्टवेयर से मोबाइल हैकिंग और जासूसी की खबरें आ रही हैं वह बहुत चिंताजनक और घृणित है। श्री गहलोत ने कहा कि जिनकी जासूसी की गयी है उस सूची में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भी नाम आ गया है। अभी पता नहीं यह सूची कहां जाकर रुकेगी।
महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव एवं प्रवक्ता सचिन सावंत ने सोमवार को कहा कि पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर फोन टैपिंग और इसमें मोदी सरकार की संभावित भूमिका का मुद्दा बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि सभी भाजपा शासित राज्य सरकारों को इस प्रक्रिया पर काम करने का निर्देश दिया गया हो। 
इस बीच, भारत के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद को बताया कि इजरायली स्पाइवेयर का उपयोग करके मोबाइल फोन हैक करने की मीडिया रिपोर्ट झूठी है क्योंकि आंकड़ों में किसी फोन नंबर की मौजूदगी से यह पता नहीं चलता है कि उसका फोन पेगासस से संक्रमित था या हैकिंग के किसी प्रयास का शिकार हुआ था या नहीं।
उन्होंने एक बयान में कहा, “ किसी फोन का तकनीकी विश्लेषण किये बिना निर्णायक रूप से यह बताना संभव नहीं है कि उसे हैक करने का प्रयास या सफलतापूर्वक हैक किया गया था या नहीं।”
गौरतलब है कि पेगासस एक मैलवेयर है जो आईफोन और एंड्रॉयड फोन को संक्रमित करता है ताकि टूल के ऑपरेटर संदेश, फोटो और ई-मेल निकाल सकें, कॉल रिकॉर्ड कर सकें और माइक्रोफोन को गुप्त रूप से सक्रिय कर सकें।

उधर, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद सत्र शुरू होने से एक दिन पहले फोन टैपिंग से संबंधित रिपोर्ट लीक किये जाने को देश के खिलाफ षड़यंत्र करार देते हुए आज कहा कि विघटनकारी और अवरोधक शक्तियां षड़यंत्रों से देश की विकास यात्रा को नहीं रोक सकती।
मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी सदस्यों द्वारा कार्यवाही में गतिरोध पहुंचाने को लोकतंत्र तथा संसद का अपमान बताते हुए उन्होंने कहा कि यह मानसून सत्र देश में विकास के नये मापदंड स्थापित करेगा।
श्री शाह ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन के घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आज शाम को एक बयान जारी कर कहा, “ मैं देश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है – ‘राष्ट्रीय कल्याण’ और हम इसकी सिद्धि के लिए निरंतर कार्य करते रहेंगे चाहे कितनी भी बाधाएं आयें।”
गृह मंत्री ने कहा, “ संसद के आज के घटनाक्रम को पूरे देश ने देखा। देश के लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए मानसून सत्र से ठीक पहले कल देर शाम एक रिपोर्ट आती है, जिसे कुछ वर्गों द्वारा केवल एक ही उद्देश्य के साथ फैलाया जाता है कि कैसे भारत की विकास यात्रा को पटरी से उतारा जाए और अपने पुराने नैरेटिव के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपमानित करने के लिए जो कुछ भी करना पड़े किया जाए।”


भारत

  • "महाराष्ट्र मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस, फडणवीस और शिंदे की दौड़ में मुकाबला तेज"

    मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। सभी की नजर इस बात पर है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक ओर शिवसेना एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है, वहीं महायुति की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे माने जा रहे हैं। एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी फडणवीस के नाम का समर्थन किया है

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    रुझानों में बीजेपी, शिवसेन (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के गठबंधन महायुति की सुनामी है. महायुती 288 में से 236 सीटों पर आगे हैं. वहीं, कांग्रेस, शिव सेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी को केवल 48 सीटों पर ही बढ़त है. वही अन्य 4 पे आगे है.

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    महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ, जबकि झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान के साथ 38 सीटों के लिए मतदान हुआ. सभी चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.