एतिहासिक होगी किसानों की महापंचायत, लाखों किसान जुटे
(फाइल फोटो)
मुजफ्फरनगर: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि कल जीआईसी मैदान पर होने वाली किसान महापंचायत एतिहासिक होगी और जबतक सरकार किसानों की मांग नहीं मानेगी तब तक आन्दोलन जारी रहेगा।
श्री टिकैत ने यहां जारी बयान में कहा है कि कल होने वाली इस पंचायत को किसान और मजदूर अपनी अस्मिता से जोड़कर देख रहे हैं और मुजफ्फरनगर की यह पंचायत एतिहासिक होगी। उन्होंने कहा कि व किसान आंदोलन शुरू होने के बाद वह अपने गृह जिले की सीमा में नहीं गए हैं। उन्होंने कषि “बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं” का प्रण ले रखा है। इसलिए वह आंदोलन शुरू होने के बाद आज तक मुजफ्फरनगर की सीमा में नहीं गए।
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के आदेश पर वह रविवार को मुजफ्फरनगर में बुलाई गई महापंचायत में जरूर पहुंचेंगे, लेकिन अपने घर नहीं जाएंगे। इस महापंचायत एक खास बात यह भी होगी कि अपने बड़े भाई और भाकियू अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत के साथ भी किसान आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत पहली बार मंच साझा करेंगे। जीआईसी मैदान पर होने वाली इस महापंचायत बड़ी संख्या में किसानों का पहुंचा जारी है।
भाकियू प्रवक्ता ने बताया कि महापंचायत के मंच का सीधा प्रसारण करने के लिए बड़े-बड़े स्क्रीन लगाए जा रहे हैं। उन्होंने मुजफ्फरनगरवासियों से कहा कि बहार से आने वाले सभी मेहमानों की हमें अपनी परंपरा के मुताबिक मेहमान नवाजी के लिए तैयार रहना है। शहर के दुकानदार भाई भी पंचायत में आने वाले लोगों का ख्याल रखें, ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो।
उन्होंने कहा कि कल होने वाली इस महापंचायत में किसानों के हितों के आन्दोलन जारी रहेगा। करीब नौ माह से उनका आन्दोलन जारी है। कल होने वाली इस महापंचायत में कृषि कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जायेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। इस पंचायत में सभी राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा खाप पंचायत के लोग भी आयेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया इस पंचायत में केवल किसान ही मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि महापंचायत की तैयारियों में जिला प्रशासन के साथ उनका तालमेल रहेगा।
श्री टिकैत ने कहा कि अगर सरकार हमारी बात नहीं सुनती है तो पूरे देश में भ्रमण करेंगे । उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग दोहराते हुए कहा कि उन्हें वापस लेना ही होगा। उन्होंने केन्द्र सरकार पर अनेक संस्थानों को बेचने का आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोगें सरकार को मनमानी नहीं करने देंगे। सरकार मंडी और रेलवे की जमीन बेचने की तैयारी कर रही है। हम किसी भी कीमत पर इन्हें नहीं बेचने देंगे। उन्होंने बढ़ती मंहगाई को सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार बंद कमरे में किसान प्रतिनिधियों से बातचीत करें और उनक मांगों पर विचार करे तभी इस का हल निकल सकता है। देश का किसान और नौजवान कमजोर नहीं है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करने हुए कहा कि केन्द्र सरकार को हर हालत में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना ही होगा। उन्होंने कहा कि सरकार बताये कि इन कानूनों से किसान काे क्या फायदा है, लेकिन सरकार नहीं बता रही है। यह कानून किसान के साथ-साथ व्यापारियों के और लोगों के हित में नहीं है। किसानों को कर्जा नहीं फसलों का लाभकारी भाव चाहिए । उन्होंने कहा कि किसान हित में एमएसपी पर कानून की उनकी मांग रहेगी लेकिन सरकार उनकी इस मांग पर कोई विचार नहीं कर रही है।
कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 9 महीने से किसान दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलन को धार देने के लिए किसानों की ओर से रविवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। पंचायत से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने एलान किया है कि इस बड़ी रैली में एक बड़ा फैसला लिया जाएगा।