मध्यप्रदेश में चलेगा ऊर्जा साक्षरता अभियान
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सभी नागरिकों को ऊर्जा साक्षर बनाने के लिये प्रदेश स्तर पर 'ऊर्जा साक्षरता अभियान' चलाया जायेगा। अभियान के माध्यम से प्रदेश के नागरिकों को ऊर्जा बचत की जानकारी दी जायेगी।
ऊर्जा साक्षरता अभियान में प्रदेश के सभी नागरिकों को समयबद्ध कार्य-योजना अनुसार ऊर्जा साक्षर बनाने के प्रयास किए जाएंगे। इसमें जन-सामान्य में ऊर्जा के व्यय एवं अपव्यय की समझ विकसित करना, ऊर्जा के पारम्परिक एवं वैकल्पिक साधनों की जानकारी देना एवं उनका पर्यावरण पर प्रभाव की समझ पैदा करना, ऊर्जा एवं ऊर्जा के उपयोग के बारे में सार्थक संवाद, ऊर्जा संरक्षण एवं प्रबंधन के बारे में जागरूकता, ऊर्जा उपयोग के प्रभावों, परिणामों की समझ के आधार पर इसके दक्ष उपयोग हेतु निर्णय लेने की दक्षता उत्पन्न करना, पर्यावरणीय जोखिम एवं जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को कम करना और विभिन्न ऊर्जा तकनीकों के चयन हेतु सक्षम बनाना जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए राज्य सरकार द्वारा "ऊर्जा साक्षरता अभियान" प्रारम्भ किया जा रहा है। इस अनूठे अभियान के माध्यम से स्कूलों एवं कॉलेजों के विदयार्थियों एवं जन-साधारण को ऊर्जा और ऊर्जा की बचत के विषय में जानकारी दी जायेगी। अभियान को एक मिशन के रूप में क्रियान्वित किया जायेगा।
मंत्रि-परिषद ने आगर-शाजापुर-नीमच सौर पार्क की कुल 1500 मेगा वाट क्षमता की 10 गुना से अधिक क्षमता के लिए जारी निविदा में प्राप्त प्रतिस्पर्धा और न्यूनतम टैरिफ के लिए प्रमुख कारकों में से एक, "राज्य शासन द्वारा परियोजना विकास को राज्य शासन द्वारा गारंटी देने" के निर्णय का अनुमोदन किया। इसके कारण देश में न्यूनतम सोलर टैरिफ प्राप्त किया गया हैं। राज्य शासन की गारंटी दिये जाने से कई लाभ हुए। भुगतान सुरक्षा के कारण परियोजना विकास को ऋण, कम ब्याज दर पर प्राप्त हुआ। परियोजना स्थापना में अंतर्राष्ट्रीय विकासकों द्वारा रुचि ली गयी, जिन्हें विदेशी संस्थाओं से कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त हो सका। भुगतान जोखिम कम होने से विकासकर्ता कम लाभ अर्थात कम अंश पूंजी वापसी पर भी परियोजना स्थापना करने के इच्छुक रहे। बहुस्तरीय भुगतान सुरक्षा में राज्य शासन की गारंटी के दृष्टिगत कम कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होती है। कार्यशील पूंजी पर ब्याज टर्म लोन से अधिक होता है। अतः राज्य शासन गारंटी उपलब्ध होने से कार्यशील पूंजी लागत पर लगने वाले अतिरिक्त ब्याज को बचाया जा सका है।
प्रदेश में सितम्बर 2021 तक लगभग 5100 मेगा वाट क्षमता की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता की स्थापना की गई है। इसमें सौर ऊर्जा क्षमता 2432 मेगावाट तथा पवन ऊर्जा क्षमता 2444 मेगा वाट है। मध्यप्रदेश में उपलब्ध कुल बिजली आपूर्ति का लगभग 21 प्रतिशत हिस्सा नवकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होता है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अपने निरंतर प्रयास में राज्य शासन वर्ष 2030 तक नवकरणीय ऊर्जा से बिजली आपूर्ति का हिस्सा बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी तारतम्य में सोलर एनर्जी कार्पोरेशन ऑफ इंडिया और मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम की संयुक्त उपक्रम कम्पनी "रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (आरयूएमएसएल) ने 1500 मेगा वाट क्षमता के आगर-शाजापुर-नीमच सौर पार्क को विकसित करने के लिये 26 जनवरी 2020 को निविदा आमंत्रित की थी। प्रस्तावित सौर पार्क परियोजना की स्थापना से कुल 3775 मिलियन यूनिट ऊर्जा उत्पादित होंगी तथा राज्य को लगभग 3018 मिलियन यूनिट सौर ऊर्जा प्राप्त होगी और शेष बिजली भारतीय रेल को दी जाएगी।
परियोजना में अपनाए गए अन्य नवाचारों यथा अनुबंध हस्ताक्षर दिनांक को भूमि की उपलब्धता, आंतरिक विदयुत संयोजन हेतु सब-स्टेशन, पूर्व से नियत विद्युत क्रय अनुबंध, विश्व बैंक का ऋण एवं राज्य शासन की गारंटी के परिणामस्वरूप 1500 मेगा वाट क्षमता की आगर-शाजापुर- नीमच सौर पार्क में राज्य ने पूरे देश में इतिहास रच समकालीन न्यूनतम टैरिफ प्राप्त किया है।
मंत्रि-परिषद ने अविवादित श्रेणी के ऐसे राजस्व प्रकरण, जिनमें पंजीकृत दस्तावेज के आधार पर आदेश किया जा सकता है, किंतु पक्षकारों की व्यक्तिगत उपस्थिति न होने के कारण जो लंबित हो जाते हैं, के शीघ्र निराकरण के लिए एक या एक से अधिक जिले के लिये साइबर तहसील का सृजन किये जाने के प्रस्ताव संबंधी मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2021 का अनुसमर्थन किया।
इसी प्रकार मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश 2021 का भी अनुसमर्थन किया।