मोदी की रैली में बवाल की साजिश रचने वाले 5 कार्यकर्ताओं पर सपा का एक्शन, पार्टी से निकाला
कानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कानपुर में रैली के दौरान बवाल कराने की साजिश रचने के आरोप में बुधवार को समाजवादी पार्टी के 5 कार्यकर्ताओं को अरेस्ट किया गया है। इस बीच समाजवादी पार्टी ने इन सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी से निष्काषित कर दिया हैं। ये सभी समाजवादी पार्टी की युवा ब्रिगेड से जुड़े हुए हैं। नौबस्ता थाना प्रभारी अमित कुमार भड़ाना ने बताया कि उन्हें एक कथित वीडियो के बारे में सूचना मिली जिसमें युवाओं ने भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया था।दरअसल, मंगलवार को कानपुर मेट्रो का उदघाटन करने के बाद श्री मोदी निराला नगर में जनसभा को सम्बोधित कर निकले, तभी सपाईयों ने प्रधानमंत्री का पुतला फूंकते हुए एक कार में तोड़फोड़ कर दी। वीडियो वायरल होते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कार मालिक को दबोच लिया।
पूछताछ के बाद भेद खुला और पुलिस ने तोड़फोड़ करने वाले चार अन्य सपाईयों को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया।
गौरतलब है कि निराला नगर में आयोजित जनसभा के बाद प्रधानमंत्री का काफिला सड़क मार्ग से खराब मौसम के चलते रवाना हुआ। इस दौरान नौबस्ता में कुछ सपाई युवकों द्वारा प्रधानमंत्री का पुतला फूंका गया और वहां से गुजर रही एक कार में तोड़फोड़ कर दी गई। मामले का सच देर रात पता चलने पर सक्रिय हुई पुलिस ने चार लोगों बुधवार को गिरफ्तार कर लिया, जबकि कार मालिक अंकुर पटेल को देर रात ही दबोच लिया गया था। पुलिस ने तोड़ी गई कार भी बरामद कर ली है।
पुलिस आयुक्त असीम अरूण ने ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही। पुलिस ने जांच में पाया गया कि प्रधानमंत्री की रैली को लेकर बड़ा बवाल रचने की साजिश रची गई थी। इस तोड़फोड़ के जरिए माहौल को भड़काने का मकसद भी सामने आया।
अपर पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि मामले में चार लोगों को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। इसमें सपा छात्र सभा के राष्ट्रीय सचिव सचिन केसरवानी, साथी सुकांत शर्मा (मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड का जिला प्रवक्ता), अभिषेक रावत (यूथ ब्रिगेड का नगर सचिव), अनिकेत कुमार पकड़े गए हैं। अपर पुलिस आयुक्त ने बताया कि बाकी अन्य चार लोगों की तेजी से तलाश की जा रही है।
पुलिस ने नौबस्ता थाने में कानपुर के आरोपी सपा नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी।