मोदी ने की जिलाधिकारियों से बात, दिया सामूहिकता की भावना से काम करने का संदेश
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में एक समान बुनियादी विकास को गति देने के लिए विभिन्न राज्यों के ऐसे 142 जिलों के जिलाधिकारियाें (कलेक्टरों) से शनिवार को बात की जो विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के मामले में एक-दो मानकों में पिछड़ने लगे हैं और उन्हें सामूहिकता की भावना से काम करके तय समय में लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रेरित किया।
प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इन जिलाधिकारियों से बात की और उन्हें आकांक्षी जिलों में विकास के लिए जिस रणनीति पर काम किया जा रहा है, उसके बारे में जानकारी दी। श्री मोदी ने कहा कि जब दूसरों की आकांक्षाएँ, अपनी आकांक्षाएँ बन जाएँ, जब दूसरों के सपनों को पूरा करना अपनी सफलता का पैमाना बन जाए, तो फिर वह कर्तव्य पथ इतिहास रचता है। आज हम देश के आकांक्षी जिलों में यही इतिहास बनते हुए देख रहे हैं। आज आकांक्षी जिले, देश के आगे बढ़ने के अवरोध को समाप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों में देश को जो सफलता मिल रही है, उसका एक बड़ा कारण है सामूहिकता एवं समन्वय की भावना। इसी कारण से सारे संसाधन वही हैं, सरकारी मशीनरी वही है, अधिकारी वही हैं लेकिन परिणाम अलग हैं।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आकांक्षी जिलों के विकास के लिए प्रशासन और जनता के बीच सीधा और भावनात्मक जुड़ाव बहुत जरूरी है। एक प्रकार का 'ऊपर से नीचे' और 'नीचे से ऊपर' शासन का प्रवाह। उन्होंने कहा कि इस अभियान का महत्वपूर्ण पहलू प्रौद्योगिकी और नवाचार है। प्रधानमंत्री ने उन जिलों का भी उल्लेख किया जहां कुपोषण, स्वच्छ पेयजल और टीकाकरण जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और नवाचार के उपयोग से उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त हुए हैं।
श्री मोदी ने पिछले 4 सालों में देश के लगभग हर आकांक्षी जिले में जन-धन खातों में चार से पांच गुना की वृद्धि हुई है। लगभग हर परिवार को शौचालय मिला है, हर गाँव तक बिजली पहुंची है और बिजली सिर्फ गरीब के घर में नहीं पहुंची है, बल्कि लोगों के जीवन में ऊर्जा का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों ने ये साबित किया है कि क्रियान्वयन में नीरसता खत्म होने से, संसाधनों का अधिकतम उपयोग होता है। ये सामर्थ्य, ये सामूहिक शक्ति, हमें आज आकांक्षी जिलों में नजर आती है।
उन्होंने कहा कि आज आज़ादी के अमृतकाल में देश का लक्ष्य है सेवाओं और सुविधाओं का शत प्रतिशत क्रियान्वयन यानी, हमने अभी तक जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसके आगे हमें एक लंबी दूरी तय करनी है और बड़े स्तर पर काम करना है। डिजिटल इंडिया के रूप में देश एक मौन क्रांति का साक्षी बन रहा है। हमारा कोई भी जिला इसमें पीछे नहीं छूटना चाहिए। डिजिटल अवसंरचनाएं हमारे हर गाँव तक पहुंचे, सेवाओं और सुविधाओं की हर दरवाजे पर उपलब्धता का जरिया बने, ये बहुत जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों एवं विभागों ने ऐसे 142 जिलों की एक सूची तैयार की है जो विकास के एक-दो मानकों पर पिछड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब वहां पर भी हमें उसी सामूहिकता की भावना के साथ काम करना है, जैसे हम आकांक्षी में करते हैं। ये केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, जिला प्रशासन आदि जो भी सरकारी मशीनरी है, उसके लिए एक नयी चुनौती है। इस चुनौती को अब हमें मिलकर पूरा करना है।
श्री मोदी ने कहा, “ सिविल सर्विसेस के साथी जुड़े हैं, उनसे मैं एक और बात याद करने को कहूंगा। आप वो दिन जरूर याद करें जब आपका इस सर्विस में पहला दिन था। आप देश के लिए कितना कुछ करना चाहते थे, कितना जोश से भरे हुए थे, कितने सेवा भाव से भरे हुए थे। आज उसी जज्बे के साथ आपको फिर आगे बढ़ना है।”
इस दौरान विभिन्न जिलाधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए जिससे कई पैमानों पर उनके जिलों के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। प्रधानमंत्री ने उनसे उन प्रमुख कदमों के बारे में प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया मांगी, जिनके परिणामस्वरूप जिलों में सफलता मिली है और इस प्रयास में उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में उन्होंने उनसे यह भी पूछा कि आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम के तहत काम करना उनके पहले किए गए काम से कैसे अलग है।
जिलाधिकारियों ने बताया कि कैसे जनभागीदारी इस सफलता के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे उन्होंने अपनी टीम में काम करने वाले लोगों को दैनिक आधार पर प्रेरित किया, और इस भावना को विकसित करने का प्रयास किया कि वे नौकरी नहीं कर रहे थे बल्कि एक सेवा कर रहे थे। उन्होंने अंतर-विभागीय समन्वय में वृद्धि और डेटा संचालित शासन के लाभों के बारे में भी बताया।