तीन साल में भारत -मध्य एशिया कनेक्टिविटी को मजबूत बनायें : मोदी
नयी दिल्ली। भारत ने मध्य एशियाई देशों के साथ आपसी सहयोग को क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अनिवार्य बताते हुए आज कहा कि अगले तीन वर्षों में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी काे मजबूत करके सहयोग बढ़ाने का एक महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया जाना जरूरी है।
श्री मोदी ने आज यहां वर्चुअल माध्यम से आयोजित प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। बैठक में कज़ाखस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव, किर्गीज गणराज्य के राष्ट्रपति सदीर जापारोव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामदो शामिल हुए।
श्री मोदी ने अपने आरंभिक उद्बोधन में कहा कि भारत और मध्य एशिया देशों के राजनयिक संबंधों ने 30 सार्थक वर्ष पूरे कर लिए हैं। पिछले तीन दशकों में हमारे सहयोग ने कई सफलताएं हासिल की हैं। अब इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर, हमें आने वाले सालों के लिए भी एक महत्वाकांक्षी विज़न परिभाषित करना चाहिए जो बदलते विश्व में हमारे लोगों खासकर युवा पीढ़ी की आकांक्षाएं पूरी करता हो।
उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय स्तर पर मध्य एशिया के सभी देशों के साथ भारत के घनिष्ठ संबंध हैं। कज़ाखस्तान भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भागीदार है। हाल ही वहां जानमाल के नुकसान पर भारत दुख प्रकट करता है। उज़्बेकिस्तान के साथ भारत के राज्यों की भी साझीदारी है। किर्गीज गणराज्य के साथ शिक्षा एवं ऊंचाई वाले क्षेत्रों से संबंधित शोध एवं अनुसंधान में साझीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। वहां हजारों भारतीय छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ताजिकिस्तान के साथ सुरक्षा के क्षेत्र में पुराना सहयोग है जिसे निरंतर सुदृढ़ बनाने का प्रयास हो रहा है। तुर्कमेनिस्तान हमारी क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है और इसीलिए भारत अश्गाबात समझौते में शामिल हुआ है।
प्रधानमंत्री ने भारत मध्य एशिया सहयोग के एजेंडा पर चर्चा करते हुए कहा कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए हम सभी की चिंताएं और उद्देश्य एक समान हैं। अफगानिस्तान के घटनाक्रम से हम सभी चिंतित हैं। इस सन्दर्भ में भी हमारा आपसी सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए और महत्वपूर्ण हो गया है।
श्री मोदी ने प्रथम भारत मध्य एशिया शिखर बैठक के तीन प्रमुख उद्देश्यों पर रोशनी डालते हुए कहा कि इसका पहला मकसद यह स्पष्ट करना कि भारत और मध्य एशिया का आपसी सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अनिवार्य है। दूसरा उद्देश्य, हमारे सहयोग को एक प्रभावी अवसंरचना देना है। इससे विभिन्न स्तरों पर, और विभिन्न साझीदारों के बीच, नियमित संवाद का एक ढांचा स्थापित होगा। और, तीसरा उद्देश्य हमारे सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप बनाना है।
उन्होंने यह भी कहा, “भारत की तरफ से मैं यह स्पष्ट करना चाहूँगा कि मध्य एशिया भारत के स्थिर एवं एकीकृत विस्तारित पड़ोस के विज़न के केन्द्र में हैं।” उन्होंने भारत एवं मध्य एशिया के बीच सहयोग के भावी रोडमैप को रेखांकित करते हुए कहा कि अगले तीन वर्षों में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी एवं सहयोग बढ़ाने को लेकर एकीकृत ढंग से आगे बढ़ेंगे।
इसके बाद मध्य एशियाई नेताओं ने अपने अपने आरंभिक वक्तव्य दिये। सभी ने भारत को 73वें गणतंत्र दिवस की बधाई दी तथा भारत एवं मध्य एशियाई देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग की सराहना करते हुए उसे और मजबूत करने के श्री मोदी के विज़न की सराहना की। उन्होंने वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भारत के साथ मिल कर चलने के इरादे का इजहार किया।
आरंभिक उद्बोधन के बाद बैठक में बंद कमरे में रणनीतिक चर्चा प्रारंभ हुई।