भारत सबसे तेजी गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक: कोविंद
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बताते हुए सोमवार को कहा कि देश को विनिर्माण का वैश्विक केन्द्र बनाने के उद्देश्य से 1.97 लाख करोड़ रुपये की लागत से 14 महत्वपूर्ण उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं शुरू की गयी है जिससे 60 लाख से अधिक रोजगार के अवसर भी सृजित होंगें।
राष्ट्रपति ने संसद के बजट सत्र के शुभारंभ के अवसर पर केन्द्रीय कक्ष में संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं को साकार करने और युवाओं को नए अवसर देने के लिए एक लाख 97 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश से 14 महत्वपूर्ण पीएलआई स्कीमें शुरू की हैं। ये स्कीमें न केवल भारत को ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगी बल्कि रोजगार के 60 लाख से अधिक अवसर भी उपलब्ध कराएंगी।
उन्होंने देश में मोबाइल उत्पादन की सफलता को मेक इन इंडिया का एक बड़ा उदाहरण बताते हुए कहा कि आज भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बनकर उभरा है। इससे भारत के लाखों युवाओं को रोजगार भी मिला है।
देश इलेक्ट्रॉनिक और टेक्नोलॉजी हार्डवेयर के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बने, इसके लिए सरकार ने सिनिकॉन और कंपाउंड सेमी कंडक्टर फैब्रिकेशन, डिस्प्ले एफएबी, चिप डिजाइन और इनसे जुड़े उद्यमों के लिए हाल ही में 76,000 करोड़ रुपये का पैकेज भी घोषित किया है।
उन्होंने देश में पिछले कई महीनों से जीएसटी राजस्व संग्रह के एक लाख करोड़ रुपये के पार बने रहने का हवाला देते हुए कहा कि इस वित्त-वर्ष के पहले सात महीनों में 48 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आना, इस बात का प्रमाण है कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक भारत के विकास को लेकर बहुत आश्वस्त हैं। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी इस समय 630 अरब डॉलर से ऊपर है। निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है और पिछले रिकार्ड टूट रहे हैं। 2021 में अप्रैल से दिसम्बर के दौरान भारत का वस्तु निर्यात लगभग 300 अरब डॉलर यानि 22 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है, जोकि 2020 की इसी अवधि की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा है।
उन्होंने स्टार्टअप ईको-सिस्टम का जिक्र करते हुये कहा कि यह युवाओं के नेतृत्व में तेजी से आकार ले रही अनंत नई संभावनाओं का उदाहरण है। वर्ष 2016 से देश में 56 अलग-अलग सेक्टरों में 60 हजार नए स्टार्ट-अप बने हैं। इन स्टार्ट-अप के जरिए छह लाख से अधिक रोजगारों का सृजन हुआ है। वर्ष 2021 में कोरोना काल में भारत में 40 से अधिक यूनिकॉर्न-स्टार्ट-अप अस्तित्व में आए जिनमें से प्रत्येक का मूल्य 7,400 करोड़ रुपए से अधिक आंका गया है। सरकार की नीतियों की वजह से आज भारत उन देशों में है जहां इंटरनेट की कीमत सबसे कम है, तथा स्मार्ट फोन की कीमत भी सबसे कम है। इसका बहुत बड़ा लाभ भारत की नौजवान पीढ़ी को मिल रहा है। भारत 5जी मोबाइल कनेक्टिविटी पर भी तेजी से काम कर रहा है जिससे अनेक नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। सेमी-कंडक्टर को लेकर भारत के प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम को होगा। भारत के युवाओं को तेजी से बदलती टेक्नॉलॉजी का लाभ मिले, इसके लिए भी सरकार ने अनेक नीतिगत निर्णय लिए हैं, कई नए सेक्टरों में प्रवेश के द्वार खोले हैं। सरकार ने स्टार्टअप बौद्धिक संपदा संरक्षण कार्यक्रम के माध्यम से पेटेंट और ट्रेडमार्क से जुड़ी प्रक्रियाओं को आसान बनाया है, उन्हें नई गति दी है। इसी का परिणाम है कि इस वित्त-वर्ष में पेटेंट के लिए लगभग छह हजार और ट्रेडमार्क के लिए 20 हजार से ज्यादा आवेदन किए गए हैं।
राष्ट्रपति ने भारत की समृद्धि में बड़े उद्योगों के साथ सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुये कहा कि एमएसएमई अर्थव्यवस्था का मेरुदंड रहे हैं और आत्म-निर्भर भारत को गति प्रदान करते रहे हैं। कोरोना काल में एमएसएमई को संकट से बचाने और जरूरी क्रेडिट उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने तीन लाख करोड़ रुपए के कोलेट्रल मुक्त ऋण की व्यवस्था की। हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि इस योजना की सहायता से साढ़े 13 लाख एमएसएमई को जीवनदान दिया गया और डेढ़ करोड़ रोजगार भी सुरक्षित किए गए। जून 2021 में सरकार, तीन लाख करोड़ रुपए की इस गारंटी को बढ़ाकर साढ़े चार लाख करोड़ रुपए कर चुकी है।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई सेक्टर को विस्तार प्रदान करने तथा इस सेक्टर के लिए अवसर बढ़ाने हेतु कई नीतिगत फैसले भी लिए गए हैं। इसकी नई परिभाषा से छोटे उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिल रही है। सरकार ने थोक और खुदरा व्यापारियों व स्ट्रीट वेंडर्स को उद्यम पोर्टल पर रजिस्टर करने की अनुमति भी दी है, ताकि उन्हें प्राथमिक क्षेत्र लेंडिंग का लाभ मिल सके।