किसान प्रदर्शन: दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं किसान
नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आए किसान रविवार को प्रदर्शन के तीसरे दिन भी दिल्ली की सीमा पर डटे रहे। उन्होंने केन्द्र सरकार के बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन के सुझाव को नकार दिया है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में बनाए गए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसानों को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी है। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने पत्र लिख कर किसान संगठनों से बातचीत करने का वादा करते हुए उनसे बुराड़ी में प्रदर्शन का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि बुराड़ी में पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं और कोविड-19 की स्थिति में, ठंड में खुले आकाश के नीचे रहना सुरक्षित नहीं।
केंद्र सरकार ने दिल्ली की सीमा पर एकत्र हुए किसानों को उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी मैदान में विरोध प्रदर्शनों के लिए जगह दी है, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ‘खुली जेल’ कहकर उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के अध्यक्ष सुरजीत सिंह ने गुरुग्राम के पास कई कृषि संगठनों के प्रमुखों के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “बुराड़ी कोई विरोध स्थल नहीं है। हम जानते हैं कि केन्द्र सरकार इसे जेल में बदल देगी।”
उन्होंने कहा कि उनके पास चार महीनों का राशन समेत सारे इंतजाम हैं। आने वाले दिनों में दिल्ली के पांच महत्वपूर्ण आने-जाने वाले मार्गों को पूरी तरह से जाम किया जाएगा। पंजाब में किसान पिछले दो महीने से संघर्ष कर रहे हैं और पिछले चार दिनों से दिल्ली चलो अभियान के तहत किसान विभिन्न मार्गों से दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं।
किसान नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को मंच पर अनुमति नहीं दी जाएगी।
किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी मांगों और सवालों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार की कार्यप्रणाली ने अविश्वास और भरोसे की कमी पैदा की है। किसान संगठनों का कहना है अगर सरकार किसानों की मांगों को सम्बोधित करने पर गम्भीर है तो उसे शर्तें लगानी बंद कर देनी चाहिए।
हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर पर बैठे किसान संगठनों ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि वह किसी वार्ता के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे बल्कि केंद्र सरकार का प्रतिनिधि यहीं आकर उनसे बातचीत करे।
पारित तीन कृषि कानून के विरोध में कुंडली बॉर्डर पर चल रहा विभिन्न किसान संगठनों का धरना आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गया। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से यहां पहुंचने का किसानों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। रोजाना हजारों किसानों के धरना स्थल पर पहुंचने से इसका आकार विशाल होता जा रहा है। आलम यह है कि जहां तक नजर जाती है वहां किसान ही किसान नजर आते हैं। हाईवे के बीचों बीच किसानों का धरना चलने के कारण ट्रैफिक पूरी तरह ठप रहा।
विभिन्न किसान संगठनों आज एक बैठक करने के बाद सर्वसम्मति से फैसला लेने के बाद बयान जारी किया कि सरकार को तत्काल प्रभाव से तीनों कृषि कानून वापस लेने, किसानों पर बनाए गए झूठे मुकदमे वापस लेने, गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा तुरंत करने, तेल की कीमतों को सरकार अपने नियंत्रण में लेने समेत उनकी आठ मांगें माननी होंगी। किसान नेताओं का कहना था कि वह अपनी मांगों पर बातचीत के लिए दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी मैदान में नहीं जाएंगे बल्कि केंद्र सरकार के प्रतिनिधि को यहीं कुंडली धरने पर ही आकर सबके बीच बातचीत करनी होगी। (वार्ता)