नयी दिल्ली,17 अक्टूबर कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी( भाजपा) सरकार ने मां गंगा को भी नहीं बख्शा और गंगाजल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया और कांग्रेस ने दबाव बनाया तो फिर वापस लेना पड़ा।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस को जब पता चला कि मां गंगा को भी नहीं बक्शा जा रहा है और गंगाजल पर जीएसटी लगाया जा रहा है तो कांग्रेस ने इसका जबरदस्त विरोध किया जिसके दबाव में सरकार को फैसला बदलना पड़ा। इस तरह एक बार फिर कांग्रेस ने मोदी सरकार को मजबूर किया और उसको यह गलत फैसला वापस लेना पड़ा।
उन्होंने कहा "भाजपा प्रवक्ता, ट्रोल आर्मी और उनके फेक न्यूज संचालक कहते रहे कि 'गंगाजल पर कोई जीएसटी नहीं है क्योंकि गंगाजल पूजा सामग्री की श्रेणी में आता है। यह प्रचार झूठ था और मीडिया इस झूठ को सच मानकर खबरें चलाता रहा। सच्चाई यह थी कि गंगाजल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया था और ये कहना कि उस पर जीएसटी नहीं था- यह कोरा झूठ है।"
प्रवक्ता ने कहा की गंगाजल पर जीएसटी लगाकर सरकार का उद्देश्य गंगाजल डाक से भेजकर डाकघर की आमदनी बढ़ाना था। पहले 250 एमएल की बोतल 30 रुपए थी लेकिन 18 प्रतिशत जीएसटी लगने के बाद इसकी कीमत 35 रुपए हो गई थी। इसकी जानकारी 18 अगस्त को इंडिया पोस्ट ने ट्वीट से दी थी जिसमें साफ लिखा था कि 30 रुपए की बोतल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा जबकि सरकार बोलती रही है की गंगाजल पूजा सामग्री की श्रेणी में आता है इसलिए इस पर जीएसटी नहीं लगेगा।
उन्होंने कहा, "सीबीआईसी के तहत जीएसटी जीएसटी आता है और सीबीआईसी की वेबसाइट पर लिखा है-रुद्राक्ष की माला, रोली, विभूति, यज्ञोपवीत, कलावा, बिना ब्रांड के शहद, लकड़ी के खड़ाऊँ, चरणामृत, चंदन का टीका और दीये की बाती पर जीएसटी नहीं है बाकि सब पर जीएसटी है। वेबसाइट में गंगाजल पर जीएसटी नहीं लगाने की कोई बात नहीं है। हिंदू धर्म में गर्भधारण से मृत्यु तक 16 कर्मकांड होते हैं और उन सबमें गंगाजल अनिवार्य है। मोदी सरकार द्वारा गंगाजल पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा था और जब हमने दस्तावेजों के साथ भंडाफोड़ किया, तब जाकर इन्होंने टैक्स हटाया।"
उन्होंने कहा, "आजकल शारदेय नवरात्र चल रहा और इस पावन पर्व में जब श्रद्धालु बिना जीएसटी के गंगाजल से पूजा करेंगे तो उनका आशीर्वाद कांग्रेस को मिलेगा। दुःख इस बात का भी है कि जिस झूठ का पर्दाफाश मीडिया को करना चाहिए था उसे हम कर रहे हैं और आगे भी सरकार का असली चेहरा इसी तरह बेनकाब करते रहेंगे।"
मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। सभी की नजर इस बात पर है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक ओर शिवसेना एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है, वहीं महायुति की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे माने जा रहे हैं। एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी फडणवीस के नाम का समर्थन किया है
रुझानों में बीजेपी, शिवसेन (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के गठबंधन महायुति की सुनामी है. महायुती 288 में से 236 सीटों पर आगे हैं. वहीं, कांग्रेस, शिव सेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी को केवल 48 सीटों पर ही बढ़त है. वही अन्य 4 पे आगे है.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ, जबकि झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान के साथ 38 सीटों के लिए मतदान हुआ. सभी चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.