नयी दिल्ली, 17 मई कांग्रेस ने कहा है कि दिल्ली में करीब एक दर्जन बिजली स्टेशनों में मानकों की अनदेखी कर कोयले का इस्तेमाल किया जा रहा है और जन स्वास्थ्य पर हो रहे इसके दुष्प्रभाव को रोकने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार कदम नहीं उठा रही है।
कांग्रेस ने कहा है कि दिल्ली में कोयले से चलने वाले 11 बिजली स्टेशन है और इनमें मानकों की धज्जियां उड़ाकर प्रदूषण को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। पार्टी ने कहा कि यदि केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है, तो प्राथमिकता के आधार पर इन बिजली स्टेशनों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, "दिल्ली के चुनाव में पर्यावरण एक विशेष स्थान रखता है। दिल्ली के पर्यावरण के लिए केंद्र सरकार प्राथमिक रूप से जिम्मेदार है क्योंकि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या आसपास के अलग- अलग राज्यों से भी जुड़ी हुई है।आज सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए वायु प्रदूषण बहुत बड़ी समस्या बन गई है।"
उन्होंने कहा "दिल्ली के आसपास 11 बिजली स्टेशन हैं, जो कोयला उपयोग करते हैं। साल 2009 में सारे बिजली स्टेशनों के लिए वायु प्रदूषण मानक तय किए गए थे। जो स्टेशन इन मानकों का पालन, इनको लागू नहीं करते थे, उसे बंद करा दिया जाता था।"
प्रवक्ता ने पर्यावरण को एक बहुत बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि मोदी सरकार कहती है कि 2027 तक प्रदूषण मानकों का पालन किया जा सकता है। दिल्ली के आसपास के 11 बिजली स्टेशनों की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, जिनमें मानकों का लगातार उल्लंघन होता रहा है और इसका असर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ा है।
उन्होंने कहा "यह किसी विशेष व्यक्ति या समुदाय की बात नहीं है बल्कि यह हर व्यक्ति के स्वास्थ्य की बात है इसलिए मैं दिल्ली वासियों से कहना चाहता हूं कि इंडिया गठबंधन दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ प्राथमिकता से काम करेगी और तय समय सीमा के अंदर फर्क दिखाएगी।"
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला किया और कहा कि चार चरणों का चुनाव हो चुका है और आने वाली 25 मई को दिल्ली में चुनाव होने वाला है। इन चार चरणों के बाद यह साफ हो गया है कि इस बार इंडिया समूह की सरकार बनने जा रही है, इसलिए प्रधानमंत्री बौखलाए और बेहद डरे हुए हैं। इसी कारण वह उल्टी-सीधी बातें कर रहे हैं।
मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। सभी की नजर इस बात पर है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक ओर शिवसेना एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है, वहीं महायुति की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे माने जा रहे हैं। एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी फडणवीस के नाम का समर्थन किया है
रुझानों में बीजेपी, शिवसेन (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के गठबंधन महायुति की सुनामी है. महायुती 288 में से 236 सीटों पर आगे हैं. वहीं, कांग्रेस, शिव सेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी को केवल 48 सीटों पर ही बढ़त है. वही अन्य 4 पे आगे है.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ, जबकि झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान के साथ 38 सीटों के लिए मतदान हुआ. सभी चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.