इटावा, 24 जून लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने वाले इटावा के स्थानीय नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, इटावा के कई कद्दावर नेताओं ने लोकसभा चुनाव के दौरान सपा का दामन छोड़ कर भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार का फैसला किया था मगर चार जून को आये चुनाव परिणाम ने स्थानीय राजनीति की दिशा बदल दी है। भाजपा के प्रो. रामशंकर कठेरिया को गठबंधन प्रत्याशी जितेन्द्र दोहरे के हाथों करारी हार कर सामना करना पड़ा है जिसके बाद दलबदलू नेताओं के राजनीतिक भविष्य को लेकर क्षेत्र में चर्चा का दौर शुरु हो गया।
भाजपा के जिलाध्यक्ष संजीव राजपूत ने कहा कि पार्टी हाई कमान के निर्देश पर पिछले दिनो प्रो कठेरिया की हार की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी जिसमें कई मुद्दे भाजपा के पदाधिकारी की ओर से रखे गए हैं उसमें यह बात भी रखी गयी कि संगठन की अनुमति के बिना सपा के कई प्रमुख नेताओं को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई गई जो कई भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरा। बाद में सपा के इन बागी नेताओं का भाजपा भी कोई लाभ नहीं उठा सकी।समीक्षा बैठक में भाजपा के विधान परिषद सदस्य अवनीश पटेल और ब्रज क्षेत्र के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष विधान परिषद सदस्य रजनीकांत माहेश्वरी के समक्ष यह मुद्दा भाजपा के पदाधिकारी की ओर से प्रमुखता से रखा गया।
ज्ञातव्य है कि लोकसभा चुनाव के दौरान सपा के पूर्व सांसद प्रेम दास कठेरिया, पूर्व प्रत्याशी कमलेश कठेरिया, दो जिला पंचायत सदस्य सचिन यादव,राजेश चौहान,दो नगर पंचायत के अध्यक्ष गणेश राठौर, सम्मी यादव,नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष मनोज पोरवाल के अलावा करीब 50 प्रधान भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन भाजपा की हार और भाजपा के स्थानीय नेताओं की बेरुखी से इन सबके माथों पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं।
भाजपा की स्थानीय इकाई के कई नेता दबी जुबान में स्वीकार करते हैं कि प्रो कठेरिया की भाषा शैली और अहंकार भाजपा की हार का कारक बना है। इसके अलावा अति आत्मविश्वास भी सपा के गढ़ में भाजपा के पतन का कारण बना।
मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। सभी की नजर इस बात पर है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक ओर शिवसेना एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है, वहीं महायुति की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे माने जा रहे हैं। एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी फडणवीस के नाम का समर्थन किया है
रुझानों में बीजेपी, शिवसेन (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के गठबंधन महायुति की सुनामी है. महायुती 288 में से 236 सीटों पर आगे हैं. वहीं, कांग्रेस, शिव सेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी को केवल 48 सीटों पर ही बढ़त है. वही अन्य 4 पे आगे है.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ, जबकि झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान के साथ 38 सीटों के लिए मतदान हुआ. सभी चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.