कोलकाता, 13 सितंबर पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के विरोध में काम रोको आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने बारिश की परवाह किए बिना शुक्रवार को लगातार चौथे दिन न्यू टाउन में स्वास्थ्य भवन के सामने अपना प्रदर्शन जारी रखा। इससे पहले सरकार के तीन दिनों में तीन प्रयास के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनकी प्रस्तावित वार्ता नहीं हो सकी।
गत नौ अगस्त को हुए दुष्कर्म और हत्या के विरोध में जूनियर डाॅक्टर पिछले 36 दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसके कारण शुक्रवार को भी सरकारी अस्पतालों के बर्हिरोगी विभाग में कामकाज ठप रहा। उग्र प्रदर्शनकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्देश को भी मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें उन्हें रोगियों की तकलीफों को ध्यान में रखते हुए अपना आंदोलन खत्म करने का निर्देश दिया गया था।
प्रदर्शनकारी डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग के तीन शीर्ष अधिकारियों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, जिन्हें आरजी कर अस्पताल के सेमिनार कक्ष में अपराध स्थल के आसपास तोड़फोड़ और नवीकरण की अनुमति देने वाले एक पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। वे कोलकाता के पुलिस आयुक्त विनीत गोयल के इस्तीफे की भी मांग कर रहे हैं।
गुरुवार शाम राज्य सचिवालय नबान्न के दरवाजे से लगभग 32 जूनियर डॉक्टर वापस लौट आए, क्योंकि सरकार ने उनके और मुख्यमंत्री के बीच बातचीत का सीधा प्रसारण करने की उनकी मांग को स्वीकार नहीं किया।
सुश्री बनर्जी मीडियाकर्मियों को संबोधित करने, इस्तीफे की पेशकश करने और डॉक्टरों से उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार काम पर वापस लौटने की नई अपील करने के बाद बैठक स्थल पर दो घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के बाद नबान्न से बाहर निकल गईं।
शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर वापस लौटने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को दंडात्मक कदम उठाने की भी अनुमति दी थी।
सुश्री बनर्जी ने स्पष्ट किया कि वह आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) या अन्य उपायों को लागू करने में विश्वास नहीं करती हैं और उन्होंने डॉक्टरों से गरीब मरीजों की परेशानियों को देखते हुए काम पर लौटने की अपील की।
उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ शक्तियां हैं जो प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को उनकी 'मां माटी मानुस' सरकार को बदनाम करने के लिए उकसा रही हैं। उन्होंने कहा कि वे लोग मुख्यमंत्री की कुर्सी के पीछे पड़े हैं और सोशल मीडिया में विकृत जानकारी दे रहे हैं।
श्री बनर्जी ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “जनता के हित में मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। मुझे मुख्यमंत्री का पद नहीं चाहिए। मैं तिलोत्तमा के लिए न्याय चाहती हूं और चाहती हूं कि आम लोगों का सही समय पर उपचार हो।”
मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। सभी की नजर इस बात पर है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक ओर शिवसेना एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है, वहीं महायुति की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे माने जा रहे हैं। एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी फडणवीस के नाम का समर्थन किया है
रुझानों में बीजेपी, शिवसेन (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के गठबंधन महायुति की सुनामी है. महायुती 288 में से 236 सीटों पर आगे हैं. वहीं, कांग्रेस, शिव सेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी को केवल 48 सीटों पर ही बढ़त है. वही अन्य 4 पे आगे है.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ, जबकि झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान के साथ 38 सीटों के लिए मतदान हुआ. सभी चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.