नयी दिल्ली, 20 सितंबर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से शुक्रवार को यहां छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से 50 से अधिक नक्सल पीड़ितों ने मुलाकात की और उनसे बस्तर में माओवादी आतंक से मुक्ति दिलाने तथा शांति स्थापित करने की मांग की।
‘बस्तर शांति समिति’ के बैनर के तले विरोध-प्रदर्शन कर रहे, नक्सल हिंसा के पीड़ितों ने राजधानी में संवाददाता सम्मेलन में ‘केंजा नक्सली-मनवा माटा’ (सुनो नक्सली-हमारी बात) विषय को लेकर कहा कि वर्षों से माओवाद के कारण उनकी जिंदगी बहुत दुष्कर हो चुकी है। इस दौरान, उन्होंने श्री शाह से मांग की है कि जैसे देश के अन्य हिस्सों में सभी नागरिक आजादी से अपना जीवन व्यतीत करते हैं, वैसे उन्हें भी बस्तर में स्वच्छन्दता से जीवन जीने का अवसर मिले। बस्तर में माओ तंत्र पूरी तरह से खत्म हो और संविधान के अनुसार बस्तर के हर गांव में लोकतंत्र का दीपक जले।
श्री शाह ने ‘एक्स’ पर लिखा, “ सुरक्षा बलों द्वारा मारे गये उग्रवादियों के मानवाधिकारों की बात करने वाले लोगों को बिना आंख, बिना हाथ, बिना पैर के जीवन जीने के लिये मजबूर, इन लोगों के मानवाधिकार नजर नहीं आते। ”
उन्होंने पीड़ितों को आश्वासन देते हुये लिखा , “ मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी सरकार दो साल के अन्दर नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर आपके क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिये संकल्पित है। ”
बस्तर शांति समिति के जयराम दास ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान बताया कि बस्तर में हजारों ग्रामीण हैं, जो आये-दिन नक्सलियों की हिंसा झेल रहे हैं और वे भयभीत हैं।
श्री दास ने आंकड़ों को सामने रखते हुये कहा कि बीते ढाई दशकों में इस भूमि में माओवादियों ने आठ हजार से अधिक ग्रामीणों की हत्या की है और हजारों ऐसे लोग हैं जो माओवादियों के बिछाये बारूद के ढेर की चपेट में आने के कारण दिव्यांग हो गये।
माओवादी हिंसा से मुक्ति की मांग कर रहे ये पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि बस्तर में विकास तो हो सकता है, लेकिन उस विकास के रास्ते में माओवादियों ने ‘बम’ रख छोड़े हैं। जैसे ही बस्तर का कोई नागरिक विकास के रास्ते पर थोड़ा आजाद होकर चलता है, वैसे माओवादियों के लगाये बम फट कर उसे दोबारा उस आतंक के साये में ले जाते हैं, जहां से उसका निकलना नामुमकिन हो जाता है।
मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। सभी की नजर इस बात पर है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक ओर शिवसेना एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है, वहीं महायुति की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे माने जा रहे हैं। एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी फडणवीस के नाम का समर्थन किया है
रुझानों में बीजेपी, शिवसेन (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के गठबंधन महायुति की सुनामी है. महायुती 288 में से 236 सीटों पर आगे हैं. वहीं, कांग्रेस, शिव सेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी को केवल 48 सीटों पर ही बढ़त है. वही अन्य 4 पे आगे है.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ, जबकि झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान के साथ 38 सीटों के लिए मतदान हुआ. सभी चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.