भारत पहले से दस गुना ऑक्सीजन उत्पादन कर रहा : मोदी
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग अचानक बढ़ने के बाद पहले से 10 गुना ऑक्सीजन उत्पादन किया जा रहा है।
श्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में आज कहा कि महामारी के दौरान जवानों और कोरोना योद्धाओं ने जो काम किया है, इसके लिए देश इन्हें सलाम करता है। इस तरह की आपदा तो दुनिया पर सौ साल बाद आई है , एक शताब्दी के बाद इतना बड़ा संकट ! इसलिए, इस तरह के काम का किसी के पास कोई भी अनुभव नहीं था। इसके पीछे देशसेवा का जज़्बा है और एक संकल्पशक्ति है। इसी से देश ने वो काम किया है जो पहले कभी नहीं हुआ।
उन्होंने कहा , “ आप अंदाज़ा लगा सकते हैं, सामान्य दिनों में हमारे यहाँ एक दिन में 900 टन तरल मेडिकल औक्सीजन का उत्पादन होता था। अब ये 10 गुना से भी ज्यादा बढ़कर करीब 9500 टन प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। इस ऑक्सीजन को हमारे योद्धा देश के दूर-सुदूर कोने तक पहुँचा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि जब कोरोना की दूसरी लहर आई, अचानक से ऑक्सीजन की माँग कई गुना बढ़ गई तो बहुत बड़ी चुनौती था।मेडिकल ऑक्सीजन का देश के दूर-सुदूर हिस्सों तक पहुँचाना अपने आप में बड़ी चुनौती थी। ऑक्सीजन टैंकर ज़्यादा तेज़ चले। छोटी-सी भी भूल हो, तो उसमें बहुत बड़े विस्फोट का ख़तरा होता है। औद्योगिक ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले काफी प्लांट देश के पूर्वी हिस्सों में हैं वहाँ से दूसरे राज्यों में ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए भी कई दिन का समय लगता है। देश के सामने आई इस चुनौती में देश की मदद की क्रयोजेनिक टैंकर चलाने वाले चालकों ने, ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने, वायुसेना के पायलट । ऐसे अनेकों लोगों ने युद्ध-स्तर पर काम करके हज़ारों-लाखों लोगों का जीवन बचाया।
उन्होंने कहा कि चुनौती के इसी समय में, ऑक्सीजन के एक जगह से दूसरी जगह ले जाने को आसान करने के लिए भारतीय रेल भी आगे आई है। ऑक्सीजन एक्सप्रेस, ऑक्सीजन रेल ने सड़क पर चलने वाले ऑक्सीजन टैंकर से कहीं ज्यादा तेज़ी से, कहीं ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन देश के कोने-कोने में पहुंचाई है। माताओं-बहनों को ये सुनकर गर्व होगा कि एक ऑक्सीजन एक्सपरेस तो पूरी तरह महिलाएँ ही चला रही हैं। देश की हर नारी को इस बात का गर्व होगा। इतना ही नहीं, हर हिन्दुस्तानी को गर्व होगा।
श्री मोदी ने कहा कि ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए देश में इतने प्रयास हुए, इतने लोग जुटे, एक नागरिक के तौर पर ये सारे कार्य प्रेरणा देते हैं। एक टीम बनकर हर किसी ने अपना कर्तव्य निभाया है।