जम्मू-कश्मीर होंगे चुनाव, बहाल हाेगा राज्य का दर्जा; मोदी के साथ मेगा मीटिंग में राज्य नेताओं ने रखी अपनी बात
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नयी दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि जम्मू कश्मीर में जम्मू कश्मीर में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव कराये जाएंगे तथा उसे पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जम्मू कश्मीर के सियासी भविष्य के संबंध में वहां के राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श के लिए आज यहां बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में नेताओं के साथ बातचीत में यह बात स्पष्ट की गयी। बैठक में संविधान के अनुच्छेद 370 एवं 35 ए के बारे में कोई बात नहीं हुई जबकि परिसीमन को लेकर बने गतिरोध को दूर करने की कोशिश की गयी।
करीब साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक खुशनुमा माहौल में हुई। बैठक से निकलने के बाद सभी नेताओं ने कहा कि बैठक सकारात्मक एवं सौहार्द्रपूर्ण माहौल में हुई तथा प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं की बात गौर से सुनी।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उन्होंने बैठक में पांच सूत्रीय मांगें रखीं थीं जिनमें जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देना, विधानसभा के चुनाव कराना एवं लोकतंत्र बहाल करना, कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास सुनिश्चित करना, राजनीतिक बंदियों की रिहाई तथा प्रवासन नियमों में बदलाव करना शामिल हैं।
श्री आजाद ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए वचनबद्ध है।
जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के नेता एवं पूर्व विधायक अल्ताफ बुखारी ने संवाददाताओं से कहा कि बातचीत बहुत खुशनुमा माहौल और संविधान के दायरे में हुई। प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं से हमारे मुद्दों को धैर्य से सुना और कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव शुरू होंगे। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वह इस बैठक को पहले बुलाने वाले थे लेकिन कोविड महामारी के कारण देरी हो गयी।
श्री बुखारी ने कहा कि सरकार का जो रोडमैप बना है, उसके हिसाब से पहले राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन का काम पूरा किया जाएगा, फिर राज्य का दर्जा बहाल करने पर बात होगी। श्री बुखारी ने बताया कि बैठक में संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 ए सहित किसी भी भावनात्मक मुद्दे पर बात नहीं हुई, क्योंकि वह मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। ये जरूर है कि 370 को जिस तरह से हटाया गया, उसका दुख है।
सज्जाद लोन ने कहा कि बैठक बहुत ही सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई। हम बहुत सकारात्मक भावना के साथ लौटें हैं। आशा है कि जम्मू कश्मीर के लोगों को इस बैठक का कुछ ना कुछ नतीजा जरूर मिलेगा।
बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, नेशनल कांफ्रेन्स के नेता फारूख अब्दुल्ला तथा उमर फारूख और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती, भाजपा के रवीन्द्र रैना, निर्मल सिंह, चमनलाल और जम्मू कश्मीर के अन्य राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए।
जम्मू कश्मीर में राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण इस बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डा जितेन्द्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार , राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केन्द्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियो ने हिस्सा लिया।
जम्मू कश्मीर का पांच अगस्त 2019 को राज्य का दर्जा समाप्त किये जाने तथा उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद केन्द्र की ओर से वहां के राजनीतिक दलों के साथ बातचीत की पहली बार पेशकश की गयी है। उधर कश्मीरी पंडितों के संगठनों ने बैठक में उन्हें न बुलाये जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि वह एक महत्वपूर्ण पक्ष हैं और उनकी बात भी सुनी जानी चाहिए।
वैसे तो आधिकारिक तौर पर इस बैठक का कोई एजेंडा तय नहीं किया गया था। इस बीच बैठक के मद्देनजर केन्द्र शासित प्रदेश में हाई अलर्ट जारी किया गया है और समूचे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के साथ चौकसी बरती जा रही है। (वार्ता)