हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह निधन, शोक की लहर, नड्डा, जयराम, अग्निहोत्री ने जताया शोक
शिमला। हिमाचल प्रदेश की अर्की विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का लम्बी बीमारी के बाद यहां इंदिरा गांधी मैडिकल कॉलेज(आईजीएमसी) अस्पताल में आज सुबह निधन हो गया। वीरभद्र सिंह ने सुबह लगभग 3.40 बजे अंतिम सांस ली। वह 87 साल के थे। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. जनक राज ने वीरभद्र सिंह के निधन की इसकी पुष्टि करते हुये बताया कि दोबारा कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से गत लगभग ढाई माह से अस्पताल में उपचाराधीन थे। गत सोमवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था तथा इसके बाद में बेहोशी की हालत में चले गये और वीरवार सुबह उनकी मौत हो गई।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और प्रदेशाध्यक्ष एवं संसद सुरेश कश्यप ने विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर गहरा दुख एवं शोक व्यक्त किया है।
राज्य सरकार ने मंत्रियों, भाजपा के प्रदेश मामलों के प्रभारी अविनाश राय खन्ना, सह प्रभारी संजय टंडन, संगठन महामंत्री पवन राणा, महामंत्री त्रिलोक जम्वाल, राकेश जम्वाल और त्रिलोक कपूर ने भी वीरभद्र सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करते हुये इसे राज्य की राजनीति के लिये बड़ा आघात बताया है।
राज्य विधानसभा में विापक्ष और कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री तथा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी वीरभद्र सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुये पार्टी के लिये एक बड़ी और अपूरणीय क्षति बताया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि वीरभद्र उनके लिये मार्गदर्शक थे और उनके सिर से एक अनुभवी नेता का साया उठ गया है।
इन नेताओं ने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक समवेदना व्यक्त करते हुये ईश्वर से उसे इस अपूरणीय क्षति को सहन करने तथा दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की है।
वीरभद्र सिंह के निधन से राज्य की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। प्रदेश की राजनीतिक में वह एक कद्दावर नेता थे और कांग्रेस का प्रर्याय माने जाते थे। उनका जाना कांग्रेस के लिये एक बड़ा झटका है। वह हमेशा पार्टी के संकटमोचक बने। उनके धुर विरोधी भी उनके राजनीतिक कौशल का लोहा मानते थे।
वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1937 को सराहन में तत्कालीन बुशहर रियासत के राजा पद्म सिंह के धर हुआ था। उन्होंने देहरादून के कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, शिमला के सेंट एडवर्ड और बिशप कॉटन स्कूल और रोहड़ू के अरहाल से स्कूली शिक्षा तथा दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए आनर्स की डिग्री हासिल की। मई 1954 में उनका विवाह रत्ना कुमारी से विवाह हुआ तथा इससे उन्हें एक पुत्री अभिलाशा कुमारी हैं जो गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायाधीश भी रहीं। वर्ष 1986 में प्रतिभा सिंह से उनका दूसरा विवाह हुआ। प्रतिभा भी मंडी से 2004 में सांसद रह चुकी हैं। इस विवाह से उन्हें दो संतानें पुत्र विक्रमादित्य सिंह और पुत्री अपराजिता सिंह हैं।