देश से चोरी 200 बहुमूल्य मूर्तियों को वापस लाया गया: मोदी
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि पिछले सात वर्षों में भारत से चोरी हुई 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को वापस लाया जा चुका है और इन मूर्तियों को वापस लाना भारत माँ के प्रति हमारा दायित्व है।
रविवार को श्री मोदी ने रेडियो के अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात के दौरान देश को संबोधित करते हुए कहा कि 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं। इन मूर्तियों में भारत की आत्मा का, आस्था का अंश है। इनका एक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व भी है।
उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में भारत, इटली से अपनी एक बहुमूल्य धरोहर को लाने में सफल हुआ है। ये धरोहर है, अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की हजार साल से भी ज्यादा पुरानी प्रतिमा। ये मूर्ति कुछ वर्ष पहले बिहार में गया जी के देवी स्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी हो गई थी। लेकिन अनेक प्रयासों के बाद अब भारत को ये प्रतिमा वापस मिल गई है।
श्री मोदी ने कहा कि कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर, हनुमान जी की प्रतिमा चोरी हो गई थी। हनुमान जी की ये मूर्ति भी 600-700 साल पुरानी थी। इस महीने की शुरुआत में, ऑस्ट्रेलिया में हमें ये प्राप्त हुई, हमारे मिशन को मिल चुका है।
उन्होंने कहा " हजारों वर्षों के हमारे इतिहास में, देश के कोने-कोने में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां हमेशा बनती रहीं, इसमें श्रद्धा भी थी, सामर्थ्य भी था, कौशल्य भी था और विवधताओं से भरा हुआ था और हमारे हर मूर्तियों के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव भी नज़र आता है। ये भारत की मूर्तिकला का नायाब उदहारण तो थीं हीं, इनसे हमारी आस्था भी जुड़ी हुई थी। लेकिन, अतीत में बहुत सारी मूर्तियां चोरी होकर भारत से बाहर जाती रहीं। कभी इस देश में, तो कभी उस देश में ये मूर्तियां बेचीं जा रही थी। उनके लिए वो तो सिर्फ कलाकृति थी। न उनको उसके इतिहास से लेना देना था, श्रद्धा से लेना देना था। इस दायित्व को समझते हुए भारत ने अपने प्रयास बढ़ाए। "
प्रधानमंत्री ने कहा कि चोरी करने की जो प्रवृति थी, उसमें भी एक भय पैदा हुआ। जिन देशों में ये मूर्तियां चोरी करके ले जाई गईं थीं, अब उन्हें भी लगने लगा कि भारत के साथ रिश्तों में कूटनीतिक पक्ष में भी इनका बहुत बड़ा महत्व हो सकता है। क्योंकि इसके साथ भारत की भावनाएँ जुड़ी हुई हैं, भारत की श्रद्धा जुड़ी हुई है। ये भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिये का ही उदाहरण है।