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Dainik Vishwamitra

बुधवार ४ दिसंबर २०२४

मतुआ समुदाय के सभी लोग देश के नागरिक : ममता



कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को बनगांव के गोपाल नगर गांव में एक जन सभा में कहा कि मतुआ समुदाय के सभी लोग इस देश के नागरिक हैं। किसी को भी कोई प्रमाण देने की जरूरत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में सभी राजनीतिक दलों के लिये बनगांव लोकसभा क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। यहां अधिक आबादी मतुआ समुदाय की है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल से ये सीट छीन ली थी। इस सीट पर भाजपा को अधिक मतुआ वोट मिलने से तृणमूल हार गयी थी। ऐसे में अब तृणमूल का लक्ष्य विधानसभा चुनाव में मतुआ का वोट वापस हासिल करना है। इसके मद्देनजर सुश्री बनर्जी ने विधानसभा चुनाव से पहले बुधवार को यहां भाजपा के खिलाफ हुंकार भरी।
सुश्री ममता ने जन सभा के दौरान राज्य सरकार द्वारा मतुआ समाज के लिये किये विभिन्न कार्य गिनाए। उन्होंने कहा, ' मैंने खुद इन्हें परखा है। किसी को नहीं पता था कि मतुआ इतनी तेजी से आगे बढे़ंगे। यह मेरी पुरानी जगह है। मतुआ समुदाय के विकास के लिये एक बोर्ड बनाया गया है। उन्हें 10 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया है। कमेटी के गठित होते ही अन्य काम शुरू हो जाएंगे। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) धोखा देने की कोशिश है। राज्य सरकार ने शरणार्थी कॉलोनियों सहित सभी कॉलोनियों को मान्यता दी है। राज्य में कोई एनआरसी और एनपीआर नहीं होगा। मैं राज्य में इसकी अनुमति नहीं दूंगी। मैं राज्य को गुजरात नहीं बनने दूंगी। '
उन्होंने सभा के दौरान भाजपा के साथ-साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पर भी हमला किया। उन्होंने कहा, ' माकपा के हमदर्द भाजपा के चहेते बन गये हैं। आरएसएस के गुंडे बाहर से आ रहे हैं। बाहर से आये लोग मतुओं को हिंदूवाद सिखा रहे हैं। वे बाहरी हैं, बंगाली नहीं। अगर उनके पास सत्ता है तो राजनीतिक और लोकतांत्रिक तरीके से लड़ें।मतुआ बरमा के परिवार की एक सदस्य ममताबाला सरकार तृणमूल की पूर्व सांसद हैं, जबकि एक अन्य सदस्य शांतनु टैगोर वर्तमान में भाजपा सांसद है। वे बांटने वाली राजनीति कर रहे हैं। हिंदू और मुसलमान को बांटा जा रहा है। इसने मतुआ समुदाय को तोड़ा है। '
इस दौरान सुश्री ममता ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर भी केंद्र को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ' किसानों को उनकी जमीन से वंचित कर दिया गया है। आलू, प्याज और दालें आवश्यक उत्पाद हैं। लोग अब आलू और चावल नहीं खा पाएंगे। सर्दियों में आलू की कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम होगी, जबकि प्याज 180 रुपये प्रति किलो में मिलेंगे।'


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