नयी दिल्ली,16 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कमान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को देने वाले चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ दायर पार्टी स्थापक शरद पवार गुट की याचिका पर यथासंभव शीघ्र सुनवाई करने की शुक्रवार को सहमति व्यक्त की।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शरद पवार गुट का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह इस मामले में यथाशीघ्र सुनवाई करेगी।
पीठ के समक्ष श्री सिंघवी ने मामले का विशेष उल्लेख करते हुए गुहार लगाई कि महाराष्ट्र में अगले सप्ताह विधानसभा सत्र के मद्देनजर शरद पवार के गुट के विधायकों को अजीत पवार समूह द्वारा जारी 'व्हिप' का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर तत्काल विचार किए जाने की आवश्यकता है।
श्री सिंघवी ने यह भी कहा कि शरद पवार गुट को चुनाव आयोग द्वारा कोई चुनाव चिह्न आवंटित नहीं किया गया है।
पीठ की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश ने उनकी दलीलें सुनने के बाद शीघ्र सुनवाई का आश्वासन देते हुए कहा कि इस मामले में पीठ यथाशीघ्र विचार करेगी।
चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार गुट का पक्ष सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए उन्हें (अजीत गुट) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह 'घड़ी' का वास्तविक हकदार बताया था।
इस फैसले को शरद पवार गुट ने 13 फरवरी को शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर करके चुनौती दी है।
इससे पहले सात फरवरी को उनके भतीजे श्री अजीत पवार के गुट ने एक 'कैविएट' याचिका दायर करके शीर्ष अदालत से गुहार लगाई गई कि यदि शरद पवार गुट चुनाव आयोग के छह फरवरी के फैसले को चुनौती दे तो इस मामले में कोई फैसला करने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।
जुलाई 2023 में श्री अजित पवार और उनके नेतृत्व में राकांपा के आठ अन्य विधायक अचानक श्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गठबंधन वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे।
इसके बाद पार्टी पर हक को लेकर चाचा- शरद पवार और भतीजे -अजीत पवार के बीच विवाद शुरू हो गया था। इसके बाद यह मामला विधानसभा अध्यक्ष के अलावा चुनाव आयोग के पास पहुंचा था। छह महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक तारीखों पर सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को राकांपा और प्रतीक चिह्न 'घड़ी' पर नियंत्रण देने के लिए विधायी बहुमत का परीक्षण लागू किया।
आयोग ने अपने फैसले पर पहुंचने के लिए "पार्टी संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों का परीक्षण", "पार्टी संविधान का परीक्षण" का भी उपयोग किया।
विधानसभा अध्यक्ष ने भी 15 फरवरी को अजीत पवार गुट के पक्ष में फैसला दिया था।
अजीत पवार गुट ने चुनाव आयोग के समक्ष पेश हलफनामे में राकांपा के कुल 81 विधायकों में से 57 का समर्थन हासिल होने का दावा किया था, जबकि उनके शरद पवार गुट के साथ मात्र 28 विधायकों का साथ होने की बात कही गई।
मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। सभी की नजर इस बात पर है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। एक ओर शिवसेना एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है, वहीं महायुति की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे माने जा रहे हैं। एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी फडणवीस के नाम का समर्थन किया है
रुझानों में बीजेपी, शिवसेन (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के गठबंधन महायुति की सुनामी है. महायुती 288 में से 236 सीटों पर आगे हैं. वहीं, कांग्रेस, शिव सेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी को केवल 48 सीटों पर ही बढ़त है. वही अन्य 4 पे आगे है.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ, जबकि झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान के साथ 38 सीटों के लिए मतदान हुआ. सभी चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.