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Dainik Vishwamitra

बुधवार ४ दिसंबर २०२४

बंगाल में बीजेपी की बल्ले-बल्ले, शुभेंदु के साथ 10 विधायकों एवं एक सासंद ने भी थामा दामन


 

मिदनापुर/कोलकाता। राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को आज फिर एक बड़ा झटका लगता। कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी रहे पश्चिम बंगाल के पूर्व परिवहन एवं सिंचाई मंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे शुभेंदु अधिकारी ने आज केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गये। इससे पहले श्री शुभेंदु ने राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल से हर तरह से नाता तोड़ लिया। सबसे पहले 26 नवंबर को उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया तथा इसी सप्ताह उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने गत बुधवार को विधानसभा के सचिव को अपनी हस्तलिखित इस्तीफा सौंपा था। इस दौरान शुभेन्दु अधिकारी के अलावा टीएमसी, लेफ्ट और कांग्रेस के 10 विधायकों ने भी बीजेपी का दामन थामा। इसके अलावा टीएमसी सांसद सुनील मंडल भी बीजेपी में शामिल हुए। बता दें कि इनमें टीएमसी के 6 विधायक हैं। सीपीएम के दो, सीपीआई का एक और कांग्रेस का एक विधायक भी बीजेपी में शामिल हुआ।
पश्चिम बंगाल तृणमूल कांग्रेस के महासचिव रहे शुभेंदु अधिकारी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। श्री अधिकारी ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा, “मैं पार्टी के सदस्य के रूप में और सभी पदों से तथा पार्टी के सहयोगी संगठनों से इस्तीफा दे रहा हूं।” उन्होंने यह भी लिखा,“पार्टी ने मुझे जो कार्य दिए और जिन चुनौतियों का मैंने निर्वहन किया तथा जो समय मैंने गुजारा, उसके लिए मैं आपका (सुश्री बनर्जी का) शुक्रगुजार हूं।”
लेकिन इसके तुरंत बाद ही खुफिया इनपुट को देखते उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा के तहत केंद्रीय सुरक्षा बल मुहैया कराई गई। गत माह के अंत में मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ममता सरकार ने उनकी सभी सुरक्षा वापस ले ली थी और वह बिना किसी सुरक्षा के इधर उधर जा रहे थे। इस बीच तृणमूल के बागी नेता शुभेन्दु की ओर से की गयी शिकायत के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने उनकी सुरक्षा को लेकर ममता सरकार के अधिकारियों को तलब कर तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये।
श्री धनखड़ ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, “पूर्व मंत्री शुभेंदु के उस प्रतिनिधित्व पर तत्काल उपाय करने के लिए सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिये हैं जिसमें कहा गया है कि राजनीतिक प्रतिशोध के गलत निहितार्थ के कारण उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाया जा सकता है।” श्री धनखड़ ने यहां तक कहा,“निस्संदेह राजनीतिक रूप से प्रेरित मामलों के कारण राज्य या कोलकाता पुलिस विरोधियों पर आपराधिक मामलों में कार्रवाई करती है तो यह न केवल असंवैधानिक होगा बल्कि अपराध भी है।”


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