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Dainik Vishwamitra

बुधवार ४ दिसंबर २०२४

कौशल विकास: भारतीय अर्थव्यवस्था का नया आधार


कौशल विकास: भारतीय अर्थव्यवस्था का नया आधार

 

कोलकाता। भारतीय अर्थव्यवस्था कृषिउद्योग और सेवा क्षेत्रों पर आधारित एक तेजी से विकसित हो रही प्रणाली हैजिसमें सेवा क्षेत्र और तकनीकी नवाचारों ने इसे वैश्विक स्तर पर मजबूती दिलाई है। डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप संस्कृति नई संभावनाओं को जन्म दे रही हैंजबकि सरकार की आर्थिक सुधार योजनाएँ और आत्मनिर्भरता पर जोर देश को सशक्त भविष्य की ओर ले जा रहा है। इस प्रगति की असली शक्ति नागरिकों के कौशल में हैजो पहचान और सशक्तिकरण के जरिए अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है। इसी पर चर्चा के लिए दैनिक विश्वमित्र द्वारा 'भारतीय अर्थव्यवस्था और आम नागरिकविषय पर एक परिचर्चा सत्र आयोजित किया गयाजिसमें उद्योग जगत के विद्वानों ने इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। इस सत्र का आयोजन हिंदुस्तान क्लब में नोवा रियलटाइम सोल्यूशंस एलएलपी के श्री सुनील गोयनका के संयोजन मेंपारस कोचर कंसलटेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और एडीपीएल कंसलटेंसी प्रा. लि. के सहयोग से किया गया।

इस चर्चा में स्टॉक ब्रोकर श्री राजीव झुनझुनवाला ने कहा कि हमारे देश में कौशल विकास बहुत जरूरी है। आंगनवाड़ी केंद्रों और कौशल विकास केंद्रों जैसे संस्थानों की स्थापना इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए की गई है। लेकिनइन योजनाओं की प्रभावी कार्यान्वयन की कमी के कारण बहुत से लोगों को इनका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसमें सुधार की जरूरत है। परिचर्चा में श्याम एंटरप्राइजेज के निदेशक श्री पवन परसरामपुरिया ने कहा कि  जीएसटी लागू होने के बाद से कर संग्रह में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यह वृद्धि दर कई विकसित देशों के मुकाबले कहीं अधिक हैजो भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती ताकत और कर प्रणाली की प्रभावशीलता को दर्शाती है। इससे सरकारी राजस्व में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। राजनीतिक लाभ के लिए खाद्य सामग्रियों को मुफ्त में बांटना या आर्थिक लाभ देना अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। सरकार द्वारा शिक्षा और चिकित्सा को मुफ्त में प्रदान करने से आम आदमी की स्थिति में निश्चित रूप से सुधार होगा।

इस दौरान टेराई टी ग्रुप के ग्रुप सीईओ एवं कंपनी सचिव सीए श्री राजेश सिंघानिया ने कहा कि हमारे देश में अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए उद्यमशीलता को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान मेंहर 5 लोगों में से 3 बेरोजगार हैंजो एक गंभीर चिंता का विषय है। चीन की यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि वहाँ 64 किलोमीटर लंबी फर्नीचर की फैक्टरियाँ उद्यमशीलता की एक बड़ी मिसाल प्रस्तुत करती हैं। अमेरिका ने अपने शहरों को आपस में जोड़कर विकास की ऊँचाइयों को छुआ है। हमें भी उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर और रोजगार के अवसरों को सृजित करके इसी तरह की प्रगति को सुनिश्चित करना होगा। इस परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए टोरेरो कॉर्पोरेशन प्रा. लि. के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री यशोवर्धन गुप्ता ने कहा कि हमें स्वीकार करना होगा कि हम अभी भी एक गरीब देश हैं। इसके लिए कर्मयोगी की तरह हमारी 1-2 पीढ़ियों को दिन-रात मेहनत करनी होगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने महंगाई को काबू में करने में काफी सफलता प्राप्त की हैलेकिन अब हमें अपनी आमदनी बढ़ाने और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके साथ हीप्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के करों को कम करना भी आवश्यक है।

 

जीईई लिमिटेड के चेयरमैन श्री शंकरलाल अग्रवाल ने जीएसटी संग्रह में महत्वपूर्ण वृद्धि की ओर इशारा करते हुए कहा कि हालांकि सरकार ने फिसकल डेफिसिट को नियंत्रित करने के प्रयास किए हैंलेकिन खर्चों में उसी अनुपात में बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका की स्थिति का उल्लेख कियाजहां सोना रिजर्व की सटीक जानकारी किसी के पास नहीं हैफिर भी सभी अमेरिका की नीतियों से बंधे हुए है। यह इंटरनेशनल पॉलिटिक्स है। श्री अग्रवाल ने यह भी सुझाव दिया कि यदि कोई सत्ताधारी पार्टी घाटे का बजट पेश करती हैतो उसे सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए। उनके अनुसारयदि व्यवस्थाओं में सुधार किया जाए और बजट घाटे को नियंत्रित किया जाएतो अर्थव्यवस्था में स्वाभाविक रूप से सुधार होगा। इस मौके पर वर्ल्ड बैंक (आईएफसी) की इकोनॉमिस्ट सुश्री रचिता डागा अग्रवाल ने कहा कि फिसकल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) स्वयं में कोई समस्या नहीं हैलेकिन जब यह अनियंत्रित हो जाता हैतो यह एक गंभीर समस्या बन जाती है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अर्थव्यवस्था की चर्चा करते समय हमें जलवायु परिवर्तन पर भी ध्यान देना चाहिएक्योंकि यह दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका तथा ब्रिटेन के मुफ्त खाद्य सामग्रियों और सेवाओं के वितरण का उल्लेख किया। इसके साथ हीउन्होंने शिक्षा पर फोकस करनेस्टॉक को बढ़ाने और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं को सुधारने की सलाह दीताकि अर्थव्यवस्था की स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

कार्यक्रम में श्री अनूप लुहारूका ने भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद पारदर्शिता में महत्वपूर्ण सुधार आया हैजिससे आर्थिक लेन-देन में अधिक स्पष्टता और विश्वास बढ़ा है। हालांकिउन्होंने किसान वर्ग की समस्याओं की ओर भी ध्यान आकर्षित कियाखासकर इस बात पर कि किसानों को अपनी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा हैजिसका मुख्य कारण बिचौलियों की भूमिका है। श्री लुहारूका ने जोर दिया कि ग्रामीण भारत के विकास के बिना देश की समग्र प्रगति संभव नहीं है।

परिचर्चा सत्र में बेंगानी ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन श्री विमल बेंगानी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए कृषि क्षेत्र की सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि यदि कृषि क्षेत्र में जेनेटिकली मोडिफाइड ऑर्गेनिज़म (जीएमओ) का उपयोग किया जाएतो इससे किसानों की उपज बढ़ सकती है और उन्हें बेहतर आर्थिक लाभ मिल सकता है। इस मौके पर आनंद लि. के चेयरमैन श्री प्रदीप ढेढिया ने कहा कि हमें अपने घरों एवं ऑफिस में काम करनेवालों को देखना होगा, उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारना होगा, जो अर्थव्यवस्था में योगदान होगा। कार्यक्रम में सीए श्री विनोद अग्रवाल ने कहा कि कौशल शिक्षा अत्यंत जरूरी है। लोग कुशल बनेंगे, रोजगार करेंगे, अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। इसके साथ ही उद्मी सम्राट बनर्जी ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा ओवरेटेड है, जबकि स्किल अंडररेटेड है।

 


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