मुफ़्त में पाकर लोग काम करने की इच्छा खो रहे हैं'! वोट राजनीति की 'ख़ैरात' पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़
नई दिल्ली। शहरी क्षेत्रों में गरीबी दूर करने के लिए केंद्र सरकार सक्रिय है। इसी से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त सुविधाएं देने पर नाराजगी जताई है।
'मुफ़्त राशन और बिना मेहनत के बैंक खाते में पैसा'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की योजनाओं से समाज को नुकसान हो रहा है। जब लोगों को बिना किसी मेहनत के खाना और पैसा मिल जाता है, तो वे काम करने की जरूरत महसूस नहीं करते।
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि शहरी क्षेत्रों में गरीबी दूर करने के मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया जारी है। सरकार बेघर लोगों को आश्रय देने और शहरी गरीबों की समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश कर रही है। इसी संदर्भ में, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने टिप्पणी की, "मुफ्त सुविधाएं पाकर लोग अब काम करना ही नहीं चाहते। वे मुफ्त राशन और बिना किसी काम के पैसा पा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "शहरी गरीबों के लिए आपकी चिंता सराहनीय है, लेकिन क्या उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोड़कर और देश के विकास में योगदान देने लायक बनाना बेहतर नहीं होगा?"
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन के इस प्रयास को कितने समय में लागू करेगी।
वोट से पहले मुफ्त योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति
चुनाव के पहले विभिन्न राजनीतिक दल कई योजनाओं की घोषणा करते हैं—कहीं मुफ्त राशन देने का वादा होता है, तो कहीं मासिक आर्थिक सहायता की बात कही जाती है। इससे लोगों को बिना मेहनत के सुविधाएं मिल जाती हैं, जिससे उनके काम करने की प्रवृत्ति कम हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस 'ख़ैराती राजनीति' पर असंतोष जाहिर किया है। इस मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।