मऊ। दीयों की रोशनी के बिना दिवाली अधूरी है। आधुनिक चकाचौंध में भी मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा बरकरार है। पूजा-पाठ से लेकर लोग घरों को सजाने में भी मिट्टी के दीये का इस्तेमाल अधिक करते हैं। ऐसे में कुम्हारों की व्यस्तता बढ़ गई है। आधुनिकता की दौड़ व व्यवसायिक युग में एक तरफ जहां बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल वाले कागज के थैलों तक का पैसा वसूल करने में परहेज नहीं करते हैं। वही गांव में रहने वाले कुम्हार आज भी घरों तक पहुचाने वाले दियों के साथ बच्चों के लिए मिट्टी के खिलौने ले जाना नहीं भूलते। खास बात यह
प्रयागराज। पाश्चात्य जीवनशैली को अपनाने की होड़ और मोबाइल इंटरनेट की दुनिया में गोते लगाती जिंदगी ने पारंपरिक त्योहारों का आकर्षण भले ही प्रभावित किया हो लेकिन पौराणिक काल से ही पति पत्नी के बीच असीम प्रेम के प्रतीक रहे ‘करवा चौथ’ के पर्व का क्रेज दिनो दिन बढ़ता जा रहा है।
नयी दिल्ली। पूरी दुनिया जहां वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रही है वहीं पर्वतारोही सुमन ने पहले कोरोना की जंग जीती और फिर हिमाचल प्रदेश के सोलांग वैली में स्थित माउंट फ्रेंडशिप (5289 मीटर) नामक पर्वत को फतह किया है।