उत्तराखंड : जंगलों में रुक नहीं रहा आग का तांडव, वन विभाग ने बुझाने में लगाई ताकत >>>>>>>>> राज्यपाल ने राजभवन परिसर में पुलिस के प्रवेश पर लगाई रोक, वित्त मंत्री चंद्रिमा पर भी लगा 'प्रतिबंध' >>>>>>>>> माध्यमिक परीक्षा में जिलों ने मारी बाजी, कूचबिहार का चंद्रचूड़ टॉपर >>>>>>>>> टीएमसी ने कुणाल घोष लिया एक्शन, महासचिव पद से हटाया
Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १७ मई २०२४

यूपी पंचायत चुनाव : हाईकोर्ट का फैसला, 2015 के आधार पर होगा आरक्षण




लखनऊ।  उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों में सीटों पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए सीटों के आवंटन पर आरक्षण लागू किया जाए और यह प्रक्रिया 25 मार्च तक पूरी की जाय।
इसके पूर्व, राज्य सरकार ने स्वयं कहा कि वह वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश पारित किए हैं।
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।
याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा। कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे। न्यायालय ने याचिका का निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया। (वार्ता)


भारत

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जीएसटी के सभी मामलों में गिरफ्तारी जरूरी नहीं

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि जीएसटी के सभी मामलों में गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने सीमा शुल्क अधिनियम एवं जीएसटी अधिनियम से संबंधित प्रविधानों की संवैधानिक वैधता एवं व्याख्या को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा और कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता से गिरफ्तारी की शक्ति अलग है।

  • ग्वालियर की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन

    श्रीमती सिंधिया के पार्थिव शरीर को अपराह्न तीन बजे से सात बजे के बीच 27 सफदरजंग स्थित निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा और इसके बाद ग्वालियर ले जाया जाएगा।

  • नागरिकता संशोधन नियम के तहत नागरिकता प्रमाण पत्रों का वितरण शुरू

    केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि गत मार्च में सीएए से संबंधित अधिसूचना जारी किये जाने के बाद योग्य लोगों को नियमों के अनुसार नागरिकता प्रमाण पत्र का वितरण शुरू हो गया है।