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Dainik Vishwamitra

बुधवार ४ दिसंबर २०२४

नए किराएदार कानून से मकान मालिक और किराएदार दोनों का होगा फायदा




 
 
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मॉडल किराएदारी अधिनियम के मसौदे को मंजूरी दे दी। इसे अब राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा जाएगा। इसे नया कानून बनाकर या वर्तमान किराएदार कानून में उपयुक्त संशोधन करके लागू किया जा सकता है। इससे राज्यों में इससे संबंधित अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव है। राज्य सरकारें किराये की प्रॉपर्टी को लेकर किसी विवाद के जल्द समाधान के लिए रेंट कोर्ट्स और रेंट ट्रिब्यूनल्स भी बना पाएंगी। देशभर में किराये पर मकान देने के संबंध में कानूनी ढांचे को दुरुस्त करने में मदद मिलेगी, जिससे आगे इस क्षेत्र के विकास का रास्ता खुलेगा।
इस अधिनियम के तहत मकान मालिक को घर के मुआयने, रिपेयर से जुड़े काम या किसी दूसरे मकसद से आने के लिए 24 घंटों का लिखित नोटिस अडवांस में देना होगा। रेंट अग्रीमेंट में लिखी समय सीमा से पहले किरायेदार को तब तक नहीं निकाला जा सकता, जब तक उसने लगातार दो महीनों तक किराया न दिया हो या वह प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल कर रहा हो। कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए अधिकतम 6 महीने का सिक्योरिटी डिपॉजिट लिया जा सकता है।
 किराएदार अगर अग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी मकान खाली नहीं कर रहा है, तो मकान मालिक को चार गुना तक मासिक किराया मांगने का अधिकार होगा। मसौदे में कहा गया है कि अगर किराएदार रेंट अग्रीमेंट के मुताबिक समयसीमा के अंदर मकान या दुकान खाली नहीं करता है तो मकान मालिक अगले दो महीने तक उससे दोगुना किराए की मांग कर पाएगा और दो महीने के बाद उसे चार गुना किराया वसूलने का अधिकार होगा।
मसौदे के अनुसार, बिल्डिंग के ढांचे की देखभाल के लिए किराएदार और मकान मालिक, दोनों ही जिम्मेदार होंगे। अगर मकान मालिक ढांचे में कुछ सुधार कराता है तो उसे रेनोवेशन का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराया बढ़ाने की इजाजत होगी। हालांकि इसके लिए किराएदार की सलाह भी ली जाएगी। मकान मालिक किराएदार को जरूरी सप्लाई नहीं रोक सकता है। राज्य सरकारों को मर्जी होगी तो वे यह कानून अपने यहां भी लागू कर सकेंगी।  


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