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Dainik Vishwamitra

बुधवार ४ दिसंबर २०२४

अब गंगा के नीचे कोलकाता से हावड़ा तक बनेगा सुरंग मार्ग, केंद्र सरकार ने बनाई योजना




कोलकाता। बदलते समय के साथ कोलकाता एवं हावड़ा एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। राज्य सचिवालय कलकत्ता से गंगा पार करके हावड़ा चला गया है। महाकरण यानी राइटर्स बिल्डिंग से सचिवालय के नबान्न जाने से हावड़ा का भी महत्व बढ़ गया। गंगा के नीचे कलकत्ता से हावड़ा तक मेट्रो का सफर भी शुरू हो गया है। अब केंद्र सरकार का लक्ष्य मालवाहक ट्रकों की आवाजाही के लिए गंगा के नीचे सुरंग बनाने का है। यह काम अगले साल से शुरू हो सकता है। इस संबंध में केंद्र ने राज्य से शुरुआती बातचीत भी कर ली है।  
सुरंग का निर्माण 'प्रधानमंत्री गति शक्ति' परियोजना के तहत किया जाएगा। कोलकाता के दक्षिणी किनारे पर मटियाबुर्ज से हावड़ा तक प्रस्तावित सुरंग मुख्य रूप से ट्रक यातायात के लिए बनाई जाएगी। परिणामस्वरूप, बंदरगाह क्षेत्र के ट्रक हावड़ा से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से राज्य के अन्य हिस्सों में जा सकेंगे। वर्ष 2022 में श्यामा प्रसाद मुखोपाध्याय पोर्ट अथॉरिटी ने इसकी योजना बनाई थी। उसके बाद यह प्रयोग शुरू हुआ कि क्या गंगा के रास्ते बंदरगाह क्षेत्र तक ट्रक यातायात के लिए सुरंग बनाना संभव है। इस संबंध में एक रिपोर्ट बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय को पहले ही सौंपी जा चुकी है। मंत्रालय के राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा कि काम जल्द ही शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "अभी तक जो तय हुआ है, ऐसे में इस प्रोजेक्ट के लिए 11 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये जा चुके हैं। कुल सड़क 15 किमी. होगी। इसमें 8 किलोमीटर लंबी सुरंग होगी।"

उल्लेखनीय है कि अभी तक ट्रक के लिए बंदरगाह से राष्ट्रीय राजमार्ग तक जाने का मुख्य मार्ग दूसरा हुगली ब्रिज है। ट्रकों को उस पुल से यात्रा करने के लिए कोलकाता शहर में प्रवेश करना पड़ता है। शांतनु ने केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी को सुरंग का प्रस्ताव दिया ताकि शहर का यातायात बाधित न हो। बनगांव से बीजेपी सांसद ने केंद्रीय मंत्री बनने के बाद यह प्रस्ताव रखा था। बाद में इस 'संभावना' के परीक्षण की मंजूरी मिल गई। बंदरगाह प्राधिकरण ने परीक्षण करने के लिए एक निजी कंपनी को नियुक्त किया है। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हाल ही में लोकसभा में कहा कि रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी गई है।

राणाघाट के सांसद जगन्नाथ सरकार ने संसद के पिछले सत्र में हावड़ा ब्रिज यानी रवीन्द्र सेतु की मौजूदा सेहत पर सवाल उठाया था। उन्हें जवाब देते हुए सोनोवाल ने कहा था कि अभी तक हावड़ा ब्रिज पूरी तरह से चालू है। उल्लेखनीय है कि हावड़ा ब्रिज राज्य सरकार की संपत्ति है, लेकिन इसके रखरखाव की जिम्मेदारी कोलकाता पोर्ट पर है। पुल खुलने के बाद से ही यह व्यवस्था लागू है। अब पुल के रखरखाव का काम श्यामा प्रसाद मुखोपाध्याय पोर्ट अथॉरिटी और आईआईटी मद्रास अथॉरिटी संयुक्त रूप से कर रहे हैं। एक समय हावड़ा ब्रिज पर एक दिन में 15 हजार से ज्यादा ट्रक आवाजाही करते थे। विद्यासागर सेतु चालू के बाद अब रवीन्द्र सेतु (हावड़ा ब्रिज) पर ट्रकों का दबाव काफी कम हो गया है। सोनोवाल ने लोकसभा को बताया कि पुल की सेहत अब बिल्कुल ठीक है, श्यामा प्रसाद मुखोपाध्याय पोर्ट अथॉरिटी ने कोलकाता-हावड़ा सुरंग मार्ग पर 'व्यवहार्यता' सत्यापन का काम पूरा कर लिया है।

नदी के नीचे चलने वाली देश की पहली मेट्रो कोलकाता में शुरू हो गई है। मुंबई में समुद्र के अंदर एक मार्ग शुरू किया गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनू का दावा है कि यह सुरंग बन गई तो कोलकाता की सूरत बहुत बदल जाएगी। उन्होंने कहा, "अगर कोई ट्रक शहर में प्रवेश नहीं करेगा तो ट्रैफिक जाम काफी कम हो जाएगा। और वह सुरंग न केवल कोलकाता बल्कि पूरे राज्य के लिए महत्वपूर्ण होगी।" शांतनु का कहना है कि प्रोजेक्ट का काम अगले साल से शुरू हो सकता है। इस संबंध में केंद्र ने राज्य से शुरुआती बातचीत भी कर ली है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री यह नहीं बता सके कि इसे पूरा होने में कितने दिन लगेंगे।

संयोग से, कोलकाता में यातायात की भीड़ को कम करने के लिए भारी वाहन यातायात को दिन में 8 घंटे के लिए रोक दिया जाता है। इसके बाद ट्रक सड़क पर लगे ट्रैफिक जाम में तेजी नहीं पकड़ पाते। इससे कई ट्रकों को रात तक इंतजार करना पड़ता है। फिर बंदरगाह से दूसरे हुगली ब्रिज तक पहुंचने के लिए गार्डनरिच सर्कुलर रोड, खिदिरपुर रोड, हेस्टिंग्स पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती है। शांतनु का दावा है कि अगर गंगा के रास्ते हावड़ा जाना संभव हो जाए तो कलकत्ता को इन सब से मुक्ति मिल जाएगी। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में सड़कों का स्वरूप बदल गया है। देश की रफ्तार बढ़ गई है। कई सुरंगों से होकर गाड़ियाँ और रेलगाड़ियाँ दौड़ रही हैं। इस बार कलकत्ता और बंगाल को भी वह गति मिलेगी।"


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