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Dainik Vishwamitra

बुधवार ४ दिसंबर २०२४

छठ पूजा में कृत्रिम जलकुण्डों का प्रचलन बढ़ा


आज लोकआस्था का महापर्व छठ का समापन हो गया। आज सुबह व्रतियों ने उगते सूरज को अर्घ्य देकर पारण किया। कोलकाता के कई घाट छठ पूजा के अवसर पर खचाखच भरे रहें। साथ ही कई लोग जो नदी नहीं पहुँच पाएं वह आस पास के झीलों व तालाब में छठ पर्व को मनाया। साथ कई ऐसे इलाके भी रहें जहाँ प्रशासन ने प्रदूषण के मद्देनज़र वहां की तालाब और झीलों में पर्व करने से रोक लगा दी। रवीन्द्र सरोवर और सुभाष सरोवर में प्रवेश पर रोक के बाद इस साल भी हजारों संख्या में छठ व्रतियों को छठ पूजन के लिए अन्य विकल्प तलाशना पड़ा। कई व्रतियों ने अपने-अपने मकानों की छत या फिर इलाके में कृत्रिम जलाशय या फिर जलकुंड बना कर छठ पूजन किया। साथ ही कई समाज सेवा समितियों ने भी कई जगहों पर कृत्रिम जलकुण्डों की व्यवस्था की थी। आइये जानते हैं कि क्या होता है कृत्रिम जलाशय या जलकुंड ? छठ पूजा के दौरान कृत्रिम जलकुंड बनाकर इन्हें पानी से भरा जाता है और इनमें श्रद्धालु डूबकी लगाते हैं। कोरोना काल के बाद से इस प्रकार के कृत्रिम जलकुण्डों में छठ महापर्व मानाने का प्रचलन बढ़ा है। कोलकाता सहित देश के कई अन्य स्थानों में भी इस प्रकार के जलकुण्डों में छठ महापर्व करते हुए वर्ती देखें जा सकते हैं।